ट्रंप को इस बार नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिला, जिससे उन्हें बड़ा झटका लगा है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि ट्रंप ने शांति के लिए बहुत कुछ किया, लेकिन यह तय करना उनका काम नहीं है कि वह इस सम्मान के लिए योग्य हैं या नहीं। पुतिन ने कहा, “कोई भी इस पर असहमत नहीं हो सकता कि कभी-कभी कुछ लोगों को शांति के लिए कुछ नहीं करने के बावजूद पुरस्कार मिल जाता है।” पुतिन का यह बयान उस समय आया, जब नोबेल शांति पुरस्कार 2025 के लिए वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना मशादो को चुना गया है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छिड़ी बहस

इस पुरस्कार को लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आई हैं। इस बीच पुतिन ने भी इस पर अपनी आलोचना व्यक्त की है। पुतिन के अनुसार नोबेल पुरस्कार का महत्व समय के साथ घट गया है और अब यह पुरस्कार केवल उन व्यक्तियों या आंदोलनों को दिया जाता है, जिनका शांति और संघर्ष में कोई महत्वपूर्ण योगदान नहीं होता। उनका कहना था कि शांति पुरस्कार अब एक राजनीतिक उपकरण बन चुका है, जिसमें बहुत से ऐसे लोग शामिल हैं जिन्होंने वास्तविक शांति के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए।

पुतिन के बयान से नोबेल की पारदर्शिता पर उठे सवाल

पुतिन के इस बयान ने नोबेल पुरस्कार की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर भी सवाल उठाए हैं। पुतिन की इस टिप्पणी को उनके आलोचकों ने अलग तरीके से लिया है। उनका मानना है कि पुतिन ने यह बयान अपने और रूस के मामलों को सही ठहराने के लिए दिया है, विशेष रूप से रूस की वेनेजुएला में सक्रियता और अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में रूस की भूमिका को लेकर। वे इस बयान को रूस के राजनीतिक एजेंडे को बढ़ावा देने की कोशिश मानते हैं। इस विवादास्पद बयान से एक बात साफ होती है कि पुतिन का मानना है कि नोबेल पुरस्कार अब शांति और निष्पक्षता से ज्यादा राजनीति से प्रेरित हो गया है।

पुतिन के बयान से बढ़ सकता है विवाद

पुतिन के मुताबिक नोबेल शांति पुरस्कार अब उन लोगों को मिल रहा है, जो शांति की बात तो करते हैं, लेकिन उनके प्रयासों का प्रभाव वास्तविक शांति के निर्माण में नहीं दिखता। यह बयान इस समय अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर आया है, जब रूस और पश्चिमी देशों के बीच तनाव अपने चरम पर है। ऐसे में पुतिन की यह टिप्पणी और भी अधिक विवादों को जन्म दे सकती है।

पुतिन ने कहा-घट चुका है पुरस्कार का महत्व

पुतिन ने नोबेल पुरस्कारों पर टिप्पणी के दौरान यह भी कहा कि अब इसका महत्व घट चुका है। उनके इस बयान ने नोबेल समिति की विश्वसनीयता और पारदर्शिता को गंभीर कठघरे में खड़ा कर दिया है।

ह्वाइट हाउस और नेतन्याहू भी विरोध में

नोबेल पुरस्कार मारिया मशादो को दिए जाने के विरोध में ह्वाइट हाउस और इजरायल के राष्ट्रपति बेंजामिन नेतन्याहू भी हैं। ह्वाइट हाउस ने इस पुरस्कार को राजनीति से प्रेरित बताते हुए नार्वे समिति के इस फैसले की कड़ी आलोचना की है। ह्वाइट हाउस ने कहा कि उनके लिए शांति से ज्यादा राजनीति महत्वपूर्ण है। वहीं इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी नोबेल पुरस्कार के फैसले पर सवाल उठाते हुए ट्रंप को को इसका असली हकदार बताया है।

Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m