अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बार फिर से कहा है कि भारत अब रूस से तेल की खरीद धीरे-धीरे कम कर रहा है और साल के आखिर तक इसे लगभग खत्म कर देगा। उन्होंने कहा कि खुद PM मोदी ने उन्हें यह भरोसा दिया है। व्हाइट हाउस में बुधवार को पत्रकारों से बात करते हुए ट्रम्प ने कहा, “तेल खरीदना एक ऐसी प्रक्रिया है जिसे तुरंत रोकना संभव नहीं है, लेकिन साल के अंत तक वे इसे जीरो कर देंगे। कल ही मेरी प्रधानमंत्री मोदी से इस बारे में बातचीत हुई है। यह एक बड़ी बात है, यह लगभग 40 प्रतिशत तेल है।” पिछले एक हफ्ते में यह पांचवी बार है जब अमेरिकी राष्ट्रपति ने रूसी तेल खरीद का मुद्दा उठाया है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज़ ले सकती है मामले
इस बीच रिलायंस इंडस्ट्रीज रूस से कच्चे तेल की खरीदारी कम कर सकती है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी का कहना है कि वह रूस से कच्चे तेल का आयात सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार करेगी। यह फैसला अमेरिका और यूरोप द्वारा रूस पर लगाए गए नए प्रतिबंधों के बाद आया है। रिलायंस रूस से सबसे ज्यादा कच्चा तेल खरीदने वाली भारतीय कंपनी है। अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने के लिए भारत पर 25% का अतिरिक्त टैरिफ लगाया है। कंपनी से जब पूछा गया कि क्या कंपनी रूस से तेल का आयात कम करने की योजना बना रही है, तो उसने कहा कि हम रूस से तेल आयात को धीरे-धीरे बदल रहे हैं और भारत सरकार के नियमों के अनुसार ही इसमें बदलाव करेंगे।
ट्रम्प बोले- ओबामा-बाइडेन की वजह से भारत-चीन करीब आए
ट्रम्प ने आगे चीन का जिक्र करते हुए कहा कि “रूस और चीन के रिश्ते ऐतिहासिक रूप से कभी बहुत अच्छे नहीं रहे, लेकिन बाइडेन और ओबामा की नीतियों की वजह से दोनों देश अब एक-दूसरे के करीब आ गए हैं। उन्हें इतना करीब नहीं आना चाहिए था।”
भारत पर प्रतिबंध का मकसद रूस पर दबाव बनाना
अमेरिका ने रूस पर दबाव बनाने के लिए भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। ट्रम्प कई बार यह दावा कर चुके हैं कि, भारत के तेल खरीद से मिलने वाले पैसे से रूस, यूक्रेन में जंग को बढ़ावा देता है। ट्रम्प प्रशासन रूस से तेल लेने पर भारत के खिलाफ की गई आर्थिक कार्रवाई को पैनल्टी या टैरिफ बताता रहा है। ट्रम्प भारत पर अब तक कुल 50 टैरिफ लगा चुके हैं। इसमें 25% रेसीप्रोकल यानी जैसे को तैसा टैरिफ और रूस से तेल खरीदने पर 25% पैनल्टी है। रेसीप्रोकल टैरिफ 7 अगस्त से और पेनल्टी 27 अगस्त से लागू हुआ। व्हाइट हाउस प्रेस सचिव केरोलिना लेविट के मुताबिक इसका मकसद रूस पर सेकेंडरी प्रेशर डालना है, ताकि वह युद्ध खत्म करने पर मजबूर हो सके।
सितंबर में भारत ने 34% तेल रूस से खरीदा
ट्रम्प के दावे के बावजूद, रूस भारत का सबसे बड़ा तेल स्रोत बना हुआ है। कमोडिटी और शिपिंग ट्रैकर क्लेप्लर के आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर में ही नई दिल्ली ने आने वाले शिपमेंट का 34 फीसदी हिस्सा लिया। हालांकि, 2025 के पहले आठ महीनों में आयात में 10 फीसदी की गिरावट आई थी।
एजेंसी के आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने 2025 के अगस्त महीने में रूस से औसतन 1.72 मिलियन बैरल प्रति दिन (bpd) कच्चा तेल आयात किया। वहीं, सितंबर में यह आंकड़ा थोड़ा घटकर 1.61 मिलियन bpd रह गया।)
एक्सपर्ट्स के मुताबिक यह कटौती अमेरिकी दबाव और सप्लाई में डाइवरसीफिकेशन लाने के लिए की गई है। इसके विपरीत रिलायंस इंडस्ट्रीज और नायरा एनर्जी जैसी निजी रिफाइनरी कंपनियों ने इसकी खरीद बढ़ा दी है।
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