महाकुंभ नगर. प्रयागराज की पुण्य धरा पर महाकुंभ का आयोजन हो रहा है. आस्था के इस महापर्व में करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. अब तक संगम में करीब 8 करोड़ लोग स्नान कर चुके हैं. ये संख्या और बढ़ने की संभावना है. वहीं मेला क्षेत्र में कई ऐसी चीजें बनाई गई हैं जो लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रही है. इसी में से एक है रुद्राक्ष का शिवलिंग. जो कि लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है.
महाकुंभ के सेक्टर 6 में स्थित इस शिविर में 07 करोड़ 51 लाख रुद्राक्ष से शिव लोक का निर्माण किया गया है. जिसमें 12 ज्योतिर्लिंगों को दर्शाया गया है. ये सभी शिवलिंग रुद्राक्ष से बनाए गए हैं और संकल्प था मौनी बाबा का. जिन्होंने अपना पूरा जीवन इस संकल्प को पूरा करने में लगा दिया. शिवलिंग बनाने के लिए करीब 10 हजार गांवों से रुद्राक्ष इकट्टठा किए गए थे.
इसे भी पढ़ें : सनातनधर्मियों को सतर्क रहकर धर्म के सच्चे स्वरूप को समझने की आवश्यकता है- शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद
दावा किया जा रहा है कि विश्व और समस्त कुंभ में पहली बार रुद्राक्ष के द्वादश ज्योतिर्लिंग का निर्माण किया गया है. हिंदू राष्ट्र की संकल्पना को लेकर साकार अद्भुत परम पवित्र शिव लोक के दर्शन के लिए कई लोग रोजाना यहां पर पहुंच रहे हैं. महाकुंभ के सेक्टर 6 में सनातनियों का सैलाब उमड़ रहा है. ये सभी शिवलिंग11 फीट ऊंचे, 9 फीट चौड़े और 7 फीट मोटे हैं.
कैसे हुई रुद्राक्ष की उत्तपति
मान्यता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शंकर की आंखों के जलबिंदु (आंसू) से हुई है. इसे धारण करने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है. रुद्राक्ष शिव का वरदान है, जो संसार के भौतिक दु:खों को दूर करने के लिए प्रभु शंकर ने प्रकट किया है. रुद्राक्ष संस्कृत भाषा का एक यौगिक शब्द है. ये रुद्र (संस्कृत: रुद्र) और अक्सा (संस्कृत: अक्ष) शब्द से मिलकर बना है. जिसमें “रुद्र” का अर्थ है भगवान शिव, जो कि शिव के वैदिक नामों में से एक है और “अक्सा” का अर्थ है ‘ अश्रु की बूंद’.
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें