अनिल सक्सेना, रायसेन। विश्व की धरोहर रायसेन सांची में इस साल 25 नवंबर यानी आज और कल 26 नवंबर से दो दिवसीय सांची महाबोधि महोत्सव शुरू हो गया है। इसकी शुरुआत गौतम बुद्ध के प्रिय शिष्यों के अस्थि कलश की पूजा अर्चना कर होगी। वहीं महोत्सव के समापन पर जिला प्रसाशन और समिति की देखरेख में अस्थि कलशों को वापस तलघर में सुरक्षित रखा दिया जाएगा।

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पर्यटन स्थल सांची में हर साल की भांति इस साल भी महाबोधि महोत्सव एवं सांची मेले का आयोजन किया गया है। जिला प्रशासन की देखरेख गौतम बुद्ध के प्रिय शिष्य सारिपुत्र और महामोग्गलान की अस्थियों को आज बाहर निकाला जाएगा। इस दो दिवसीय महोत्सव में पर्यटकों और बौद्ध अनुयायियों श्रीलंका, जापान, थाईलैंड और सिंगापुर आदि देशों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। वहीं सुरक्षा की दृष्टि को देखते हुए यहां लगभग 300 पुलिस जवानों और कई अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है।

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इसके साथ ही महोत्सव की वजह से भारी बहनों का प्रवेश निषेध कर रूट को डाइवर्ट किया गया है। आज अपर्णा चतुर्वेदी और उनकी टीम द्वारा निरत्य वाटिका की प्रस्तुति दी जाएगी। वहीं कल यानी 26 नवंबर को हर्षिता दधीच और उनकी 7 सदस्यीय टीम द्वारा प्रस्तुति दी जाएगी। महोत्सव के समापन पर जिला प्रशासन और समिति की देखरेख में अस्थि कलशों को वापस तलघर में सुरक्षित रखा जाता है। बतादें कि, तलघर की एक चाबी प्रशासन के पास तो एक सोसाइटी के पास रहती है।

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गौरतलब है कि, महाबोधि महोत्सव की शुरुआत वर्ष 1952 में नवंबर के अंतिम रविवार को सांची के बौद्ध स्तूप परिसर स्थित चैत्यगिरि विहार मंदिर के लोकार्पण समारोह के रूप में हुई थी। तभी से हर साल नवंबर के अंतिम रविवार को इस महोत्सव को मनाया जाता है।

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