प्रतीक चौहान. रायपुर. बिलासपुर जीआरपी से दो गांजा तस्करों के भागने का मामला सुर्खियों में है. सूत्रों के मुताबिक जीआरपी की स्क्वार्ड टीम ने दो तस्करों को पकड़ा था उन्हें थाने लाया गया. लेकिन वो वहां से भाग गए. जब वे भागे तो आरपीएफ का एक हवालदार उनके पीछे भागा, सूत्रों के मुताबिक दोनो युवकों के भागने के बाद कुछ यात्री चोर-चोर चिल्ला रहे थे.

 इसलिए आरपीएफ के स्टॉफ को लगा कि कोई चोर भाग रहा है. इसके बाद रेलवे स्टेशन के बाहर बाईक में आरपीएफ के एक अन्य स्टॉफ ने भी कुछ दूर पीछा किया. लेकिन वो दो आरोपी नहीं मिले.

सूत्रों ने दावा किया कि इसके बाद जीआरपी ने दो अन्य आरोपियों को गांजा तस्करी में पकड़ा और बिलासपुर जीआरपी ने दावा किया कि पकड़ाए गए आरोपी वह दो ही थे जो भागे थे. लेकिन इस मामले में जीआरपी एसपी से लल्लूराम डॉट कॉम ने बात की तो उनका कहना था कि जो दो लोग भागे थे वो गांजा तस्कर नहीं थे महज संदेही थे. लेकिन वह भाग गए.

यानी बिलासपुर जीआरपी जो कह रही है और एसपी जीआरपी जो कह रहे हो दोनो की बातें अलग-अलग है. वहीं इस मामले में जीआरपी ने 3 लोगों को भी सस्पेंड कर दिया है.

जबकि सूत्र बताते है कि बिलासपुर जीआरपी में इन दिनों कुछ ठीक नहीं चल रहा है. जिस टीम ने आरोपियों को पकड़ा था उस टीम और जीआरपी बिलासपुर की टीम से इन दिनों आपस में जम नहीं रही है. यही कारण है कि इस पूरे मामले में कई प्रकार की बातें कही जा रही है.

हालांकि ये जीआरपी के लिए जांच का विषय है कि क्या सच में दो गांजा तस्कर भागे है ? हालांकि रेलवे स्टेशन में लगे सीसीटीवी फुटेज में पूरे प्रमाण मौजूद है. लेकिन इस मामले में जीआरपी की बदनामी न हो इसलिए कोई भी इस मामले में बताने से बच रहा है.

बिलासपुर जीआरपी ने मीडिया को जो बताया उसके मुताबिक उनके हाथों में हथकड़ी लगी थी और हथकड़ी बड़ी थी इसलिए वो उससे हाथ निकालकर भाग गए. बिलासपुर जीआरपी की थ्योरी के मुताबिक भागने के बाद दोनो आरोपी पुन: भोपाल-दुर्ग अमरकंटक एक्सप्रेस में मिले. यानी दोनो गांजा तस्करों ने हथकड़ी से अपना हाथ निकालकर स्टेशन से भाग गए और फिर वे ट्रेन में चढ़े तब  उन्हें जीआरपी ने पकड़ लिया.

 जबकि जीआरपी एसपी कह रहे है कि वे दोनो संदेही थे, यदि संदेही थे तो उनके हाथों में हथकड़ी कैसे लगाई गई ? वहीं क्या गांजा तस्कर इतने नादान है थे कि जीआरपी थाने से भागने के बाद वे पुनः बिलासपुर रेलवे स्टेशन में पहुंचे ?

यही कारण है कि ये पूरा मामला जांच का विषय है. जिससे पूरी असली कहानी स्पष्ट होगी. वहीं विभाग के अंदर एक और बात को लेकर कानाफूसी हो रही है कि जब इस मामले में सब इंस्पेक्टर समेत 3 को सस्पेंड किया गया तो थाना प्रभारी को विभाग ने क्यों बचा लिया ?