रायपुर। सरकारी है तो बेहतर है… आम धारणा है कि जब चीज सरकारी हो तो वो बेहतर ही होगी.. चाहे वह नौकरी हो या कोई व्यवस्था.. ऐसे दावे सरकारें भी किया करती है कि ‘सरकारी है तो बेहतर है.’ मंदहे(शराबी) भी यही कहते हैं देशी है तो बेहतर है. छत्तीसगढ़ में ‘देशी और विदेशी’ दोनों ही सरकारी है.

ऐसे में पीने वाले भी जब पीते हैं तो छककर पीते हैं. इन्हें पीने वालों की भी कटैगरी है. कोई पीकर ‘बार’ में गिरता है, कोई घर में और जो बार में नहीं गिरता तो वह नाली में जरुर नजर आता है.

हर नागरिक का ख्याल रखना भी सरकारी जिम्मेदारी है. और पियक्कड़ों की तो खास तौर पर शायद इसीलिए नालियां भी बजबजाई रहती है कि दारू का सुरुर बढ़ने के बाद अगर कोई गिरे तो उसे चोट भी न लगे साथ में बगैर खर्च किये नाली से निकलने वाली गंध मुफ्त में.

नाले में पड़े दो शराबियों की तस्वीर शुक्रवार को सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रही है. बताया जा रहा है कि दोनों शराब के नशे में थे और रात से नाले में ही पड़े थे. सुबह-सुबह सैर करने वाले लोगों ने इन्हें पड़े देखा और 108 एंबुलेंस को फोन कर उन्हें मेकाहारा अस्पताल भिजवा दिया.

अब आप ही सोचिये छत्तीसगढ़ में विपक्ष नाहक शराबंदी-शराबबंदी चिल्लाते रहता है, अगर शराबबंदी हो गई तो फिर ऐसी लुभावनी तस्वीरें क्या देखने को मिलेगी?

देखिये वीडियो

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