मोसीम तड़वी, बुरहानपुर। बुरहानपुर के तीन साल पुराने बहुचर्चित फर्जी शिक्षक भर्ती घोटाले की फाइल पुलिस ने एकबार फिर खोल ली है। पुलिस ने घोटाले के दो आरोपी को गिरफ्तार किया है। इस मामले में अब कुल 9 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। पुलिस पहले 7 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। 2 आरोपी को मिलाकर इस मामले में अब 9 लोगों की गिरफ्तारी हो गई हैं, वहीं 81 लोगों की गिरफ्तारी शेष है।

बता दें कि तीन साल पहले जिले के ग्रामीण क्षेत्र में लगभग 90 शिक्षक फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियुक्त हुए थे। इसकी शिकायत पर जिला प्रशासन ने उच्चस्तरीय जांच कराई थी। जांच में शिकायत सही पाए जाने पर 90 फर्जी शिक्षकों पर एफआईआर दर्ज की गई थी। इन में से पुलिस ने कल दो और शिक्षकों रविंद पिता विठ्ठल बावस्कर निवासी चिंचाला लालबाग और श्रीकांत पिता मधुकर चिमनकरे निवासी लालबाग को गिरफ्तार किया है। इस मामले में अबतक 9 आरोपी फर्जी शिक्षकों की गिरफ्तार हो चुकी है, 81 फर्जी शिक्षकों की गिरफ्तारी बाकी है।

जानकारी के मुताबिक शिकायत के बाद फर्जी शिक्षक भर्ती घोटाले की फाइल खुली थी। सभी आरोपी जाली अंकसूची, बीएड और डीएड की फर्जी अंकसूची के जरिए शिक्षक बने थे। संविदा शिक्षक भर्ती घोटाला वर्ष 2018 में उजागर हुआ था। इस दौरान पहले दौर में शिकायत में उल्लेखित शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच की गई तो विभाग चौंक गया। उनके दस्तावेज फर्जी पाए गए थे। जिसके बाद सभी शिक्षकों के मूल दस्तावेजों और नियुक्त आदेश का सत्यापन कराया गया। जिसमें एक सौ से ज्यादा फर्जी शिक्षक पाए गए थे। जिला प्रशासन ने इन सभी शिक्षकों को सेवा से बर्खास्त कर दिया था।

साथ ही उनके द्वारा सेवाकाल में लिए गए वेतन की रिकवरी के निर्देश दिए थे। शिक्षा विभाग ने इनके खिलाफ कोतवाली थाने में एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी। पुलिस विभाग की लेटलतीफी के कारण करीब दो साल से आरोपियों की गिरफ्तारी पर ब्रेक लगा हुआ था। इस मामले में पुलिस ने तत्कालीन सीईओ अनिल पवार और घोटाले के मास्टर माइंड ज्योति खत्री को पहले ही गिरफ्तार कर लिया था। जिला शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बर्खास्त किए गए शिक्षकों से साढे आठ करोड़ से ज्यादा की वसूली के प्रयास भी तेज कर दिए गए हैं। वसूली का काम अब राजस्व विभाग करेगा।