Udaipur Files Controversy: फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स – कन्हैया लाल मर्डर केस’ को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है. कोर्ट ने कहा है कि वह इस मामले को 25 जुलाई को दिल्ली हाई कोर्ट को सौंप सकता है.
यह फिल्म जून 2022 में हुए कन्हैया लाल की हत्या की कहानी पर आधारित है. कुछ संगठनों का आरोप है कि फिल्म मुस्लिम समुदाय को गलत तरीके से दिखाती है और इससे सामाजिक सौहार्द बिगड़ सकता है.
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Udaipur Files Controversy
फिल्म पर रोक लगाने की मांग करने वालों में जमीयत उलेमा-ए-हिंद भी शामिल है. संगठन के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में दलीलें दीं. उन्होंने कहा कि जिस सेंसर बोर्ड (CBFC) की टीम ने फिल्म को पास किया है, उसमें कई सदस्य सत्तारूढ़ पार्टी से जुड़े हुए हैं.
इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने जवाब दिया कि “सरकारी समितियों में ऐसा होना कोई नई बात नहीं है. हर सरकार अपने स्तर पर नियुक्तियां करती है, इसे चुनौती नहीं दी जा सकती.”
जस्टिस जे. बागची ने भी कहा कि सरकारों के पास सलाहकार समितियां होती हैं और इसमें कोई गलत बात नहीं है.
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सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की एक समिति ने फिल्म के कुछ दृश्यों में संशोधन और कट लगाने के सुझाव दिए हैं. फिल्मकार ने भी इन्हें मानने की बात कही है. साथ ही, डिस्क्लेमर (नोटिस) में भी सुधार किया जाएगा.
Udaipur Files Controversy. तुषार मेहता ने यह भी कहा कि संविधान का अनुच्छेद 19(1) सभी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है, और यह धर्म के मामले में भी तटस्थ है.
अब अदालत इस मामले की 25 जुलाई को 10 से 15 मिनट की सुनवाई करेगी और संभव है कि इसे दिल्ली हाई कोर्ट को भेज दिया जाए.
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सिर्फ फिल्म ही नहीं, बल्कि हत्या के एक आरोपी मोहम्मद जावेद की याचिका भी दिल्ली हाई कोर्ट भेजी जा सकती है. जावेद ने मांग की है कि जब तक अदालत में सुनवाई पूरी नहीं हो जाती, फिल्म की रिलीज पर रोक लगाई जाए.
Udaipur Files Controversy. गौरतलब है कि कन्हैया लाल की हत्या जून 2022 में उदयपुर में हुई थी. आरोपियों ने हत्या के बाद एक वीडियो जारी कर हत्या की जिम्मेदारी ली थी और दावा किया था कि यह हत्या कन्हैया लाल के सोशल मीडिया पोस्ट के जवाब में की गई है, जिसमें उन्होंने नूपुर शर्मा के बयान का समर्थन किया था.
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