अजय नीमा, उज्जैन। महाकाल की नगरी उज्जैन में होली का पर्व अनूठे अंदाज में मनाया जाता है। यहां एक दिन पहले से ही सभी भक्त शिव की भक्ति में लीन होकर झूमते-गाते दिखाई दिए। भगवान शिव-पार्वती और उनके गण यानि भूत-पिशाच इस होली में शामिल हुए और उनके साथ भक्त भक्ति के रंग में रंग कर शिवमय हो गए। उज्जैन में भस्म से होली खेली गई। 

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यहां भस्म, फूल के साथ-साथ अबीर गुलाल की होली खेली जाती है। आज खेली गई होली में भक्तों ने भगवान शिव, माता पार्वती, कृष्ण और राधा का रूप धारण किया। इसके साथ ही बड़ी संख्या में भक्त झूमते गाते नजर आए। यहां भक्त भांग बनाते, चिलम पीते और चौसर खेलते हुए भी दिखे।

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धर्म नगरी उज्जैन में शिव अर्थात महाकाल और पार्वती अर्थात शक्तिपीठ माता हरसिद्धि दोनों का साक्षात वास है इसलिए यहां होली का उत्सव शिव पार्वती साथ मानते हैं। आज रविवार को पूर्णिमा तिथि पर महाकालेश्वर मंदिर और माता हरसिद्धि मंदिर के बीच स्थित महाकाल वन में होली उत्सव का आयोजन किया गया।

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आयोजन में शिव और पार्वती प्रतीकात्मक रूप में शामिल हुए । मानों ऐसा लग रहा था कि साक्षात भोलेनाथ अपनी अर्धांगिनी के साथ आ गए हैं। जब यहां शिव-पार्वती स्वयं नाचने लगे तो भक्त भी अपने आप को रोक नहीं पाए और झूमते गाते नजर आए। इसके साथ यहां भक्त भगवान कृष्ण और राधा के रूप में भी नजर आए।

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होली उत्सव मनाने के लिए शिव के गण अर्थात भूत पिशाच और नंदी भी यहां शामिल हुए जो अद्भुत अंदाज में सजे हुए थे। ऐसा लग रहा था कि साक्षात शिव की सेना आ गई हो। जुलूस के रूप में भक्त व शिव के गण नाचते गाते हुए आयोजन स्थल तक पहुंचते है। होली का यह अनूठा अंदाज केवल शिव नगरी उज्जैन में ही देखने को मिलता है।

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