अजय नीमा, उज्जैन। रक्षाबंधन और स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर उज्जैन ने राष्ट्रभक्ति की ऐसी मिसाल देखी, जिसने पूरे देश का ध्यान खींच लिया। शहीद समरसता मिशन के युवाओं ने 19 वर्षों से उपेक्षित रहे शहीद गजेंद्र राव सुर्वे के वृद्ध माता-पिता को 21 लाख रुपए की लागत से नया घर बनाकर समर्पित किया। यह कार्य बिना किसी सरकारी अनुदान के पूरी तरह सामाजिक सहयोग से संभव हुआ।

2006 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए गजेंद्र राव सुर्वे के परिवार के पास खुद की जमीन थी, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण वे अपना घर नहीं बना सके। वर्षों तक शासन-प्रशासन से मदद की उम्मीदें अधूरी रहीं। अब “राष्ट्र शक्ति मंदिर” नाम से बने इस नए घर की चाबी मिलने पर वीर माता-पिता की आंखों में खुशी के आंसू छलक पड़े।

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घर समर्पण समारोह में गुलाब की पंखुड़ियों से स्वागत हुआ और पूरा माहौल “भारत माता की जय” और “गजेंद्र राव सुर्वे अमर रहें” के नारों से गूंज उठा। शहीद की मां कल्पना सुर्वे ने भावुक होकर कहा कि “मेरा बेटा आज जहां भी होगा, खुश होगा कि उसका अधूरा सपना मोहन नारायण भईया और इन बेटों ने पूरा कर दिया।”

शहीद समरसता मिशन के संस्थापक एवं राष्ट्रीय संयोजक मोहन नारायण ने कहा कि “हम हर वीर परिवार को अपना परिवार मानते हैं। उनका सम्मान और सुविधा सुनिश्चित करना हर भारतीय का कर्तव्य है। हम संसद से मांग करते हैं कि हर शहीद परिवार को एक करोड़ रुपए की समर्पण राशि देने का कानून बने और स्वतंत्रता से अब तक शहीद हुए सभी 36,000 सैनिक परिवारों को इसका लाभ मिले।”

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यह पहल न केवल एक परिवार को सम्मान की छत देने का उदाहरण है, बल्कि पूरे देश के लिए यह संदेश है कि सैनिक के परिवार का दर्द समाज का दर्द है और उनका सम्मान पूरे राष्ट्र का सम्मान है।

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