हेमंत शर्मा, उज्जैन। धार्मिक नगरी उज्जैन में मंगलवार को ‘स्पिरिचुअल एंड वेलनेस समिट 2025’ का भव्य आयोजन किया गया। जिसमें देशभर से आध्यात्मिक संत, योग गुरु, आयुर्वेद विशेषज्ञ और नीति-निर्माता शामिल हुए। कार्यक्रम का उद्देश्य भारत की प्राचीन अध्यात्म परंपरा, योग और प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों को वैश्विक स्तर पर मजबूत करना रहा।
इस अवसर पर स्वामी चिमनयानंद ने समिट को संबोधित करते हुए कहा कि भारत को अगर फिर से विश्वगुरु बनाना है तो उसके लिए आध्यात्मिक जागरण आवश्यक है। उन्होंने युवाओं से अपील करते हुए कहा कि वे केवल आधुनिक तकनीक नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति की जड़ों से भी जुड़ें। भारत की आत्मा वेद, योग, ध्यान और आयुर्वेद में बसती है। जो राष्ट्र अपने मूल को भूलेगा, वह टिकेगा नहीं। आध्यात्मिकता सिर्फ मंदिरों में नहीं, जीवन के हर क्षेत्र में प्रवेश करना चाहिए।
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हेल्थ, टूरिज्म और वेलनेस को जोड़ने की दिशा में प्रयास
समिट में प्रदेश के प्रमुख सचिव मनोज शुक्ला ने कहा कि मध्यप्रदेश की नई टूरिज्म पॉलिसी निवेशकों के लिए बेहद अनुकूल है। हम हेल्थ और वेलनेस टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए उज्जैन, ओंकारेश्वर, महेश्वर और अमरकंटक जैसे तीर्थों को केंद्र में रखकर योजनाएं बना रहे हैं। संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव राघवेंद्र सिंह ने कहा कि दुनिया आज योग, ध्यान और आयुर्वेद की ओर लौट रही है। भारत को इसका नेतृत्व करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सनातन परंपरा आज केवल आस्था नहीं, बल्कि विज्ञान और चिकित्सा की दृष्टि से भी उपयोगी साबित हो रही है।
समिट में इन विषयों पर हुई चर्चा
- आध्यात्मिकता का आधुनिक जीवन में महत्व
- योग और आयुर्वेद के वैश्विक अवसर
- वेलनेस टूरिज्म: चुनौतियां और संभावनाएं
- युवा पीढ़ी को आध्यात्मिक मूल्यों से जोड़ने की रणनीति
- सनातन संस्कृति और वैश्विक नेतृत्व
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महिला संतों और विद्वानों की भी सहभागिता
इस कार्यक्रम में महिला साध्वी, आयुर्वेदाचार्य और अध्यात्म पर शोध करने वाले युवाओं ने भी अपने विचार रखे। साध्वी पूर्णाहुति जी ने कहा कि स्त्रियों की भूमिका सनातन परंपरा में हमेशा से केंद्रीय रही है, और अब उन्हें आध्यात्मिक नेतृत्व में भी आगे आना होगा।
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