देहरादून. उत्तराखंड सरकार की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने जलवायु परिवर्तन पर स्टेट एक्शन प्लान की समीक्षा बैठक की. जिसमें मुख्य सचिव ने अलग-अलग विभागों के अधिकारियों से संबंधित कार्यों की जानकारी ली और एक्शन प्लान के तहत उनको जलवायु जोखिम, ग्रीन हाउस गैस, पर्यटन विभाग जैसे अन्य विभागों से जुड़े गाइडलाइन्स बनाने सहित उसे जमीनी स्तर पर बेहतर ठंग से चलाने के लिए निर्देश दिए.

दरअसल, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने आज सचिवालय में जलवायु परिवर्तन पर स्टेट एक्शन प्लान की समीक्षा की. उन्होंने जलवायु परिवर्तन पर स्टेट एक्शन प्लान में वांछित सशोंधन, जलवायु जोखिम, नीतिगत बिन्दुओं, राज्य के ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन की स्थिति, स्टेट एक्शन प्लान के वित्तीय पोषण, माॅनिटरिंग एवं नियमित मूल्यांकन पर वन एवं पर्यावरण सहित सभी सम्बन्धित विभागों से विस्तृत चर्चा की. स्टेट एक्शन प्लान के तहत कृषि एवं उद्यान विभाग, पर्यटन, ऊर्जा, वन विभाग के विस्तार के लिए प्राथमिकता से ध्यान देने के निर्देश दिए हैं.

कृषि का विस्तार

मुख्य सचिव ने स्टेट एक्शन प्लान के तहत कृषि एवं उद्यान विभाग को मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार के लिए जैविक खेती को बढ़ावा देने, सिंचाई की क्षमता बढ़ाने, स्थानीय फसलों की कृषि के विस्तार, किसानों की ऋण, बीमा एवं आधुनिक मशीनों तक पहुंच बढ़ाने, क्षमता विकास, सोलर पॉवर पम्प की सहायता से स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग जैसे फोकस बिन्दुओं पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए हैं.

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टूरिज्म डेवलपमेंट

मुख्यमंत्री धामी ने जलवायु परिवर्तन पर स्टेट एक्शन प्लान के तहत पर्यटन विभाग को पर्यटन पर रिसर्च बढ़ाने, जलवायु परिवर्तन के विषय पर कार्यशालाएं आयोजित करने, सस्टेनेबल टूरिज्म डेवलपमेंट गाइडलाइन्स बनाने तथा अपनाने, पर्यटक स्थलों पर शत प्रतिशत वेस्ट सेग्रीगेशन, पेपरलेस टिकट व्यवस्था जैसे नवाचारों को अपनाने के निर्देश दिए हैं.

माॅडल एनर्जी पर फोकस

बैठक में मुख्य सचिव ने ऊर्जा विभाग को ऊर्जा संरक्षण पर क्षमता विकास एवं कार्यशालाएं आयोजित करने, वाटर हार्वेस्टिंग तथा ग्रीन बिल्डिंग पर सेमिनार व प्रशिक्षण, माॅडल एनर्जी गांवों की संख्या बढ़ाने, माइक्रो हाइड्रो तथा नए सोलर प्रोजेक्ट के विकास जैसे फोकस बिन्दुओं पर ध्यान देने के निर्देश दिए हैं.

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वन सरंक्षण पर चर्चा

मुख्य सचिव ने वन विभाग को जैव विविधता एवं वन संरक्षण के लिए निरन्तर अनुसंधान, पर्वतीय क्षेत्रों में निर्माण तथा वनों के सरंक्षण के लिए नीतिगत पहलुओं, क्षमता विकास, पिरूल का ईधन एवं बायोमास में उपयोग जैसे पहलुओं को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए हैं.