नेहा केशरवानी, रायपुर। रूस के साथ युद्ध छिड़ने के बाद यूक्रेन से वापस लौटे छत्तीसगढ़ के मेडिकल छात्रों का भविष्य अधर में हैं. छात्र न यूक्रेन जा पा रहे हैं, और न ही यहां उनके पढ़ाई की व्यवस्था हो पाई है. ऐसे हालात में मानसिक संत्रास से गुजर रहे छात्रों ने रायपुर में स्वास्थ्य मंत्री के बगले से रैली निकालकर मुख्यमंत्री आवास तक पहुंचे. इसके साथ ही मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री के नाम ज्ञापन सौंप पढ़ाई को लेकर अपनी चिंताओं से अवगत कराया.

रूस के साथ युध्द शुरू होने के बाद से छत्तीसगढ़ के 207 छात्र मार्च 2022 को अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़कर ही वापस आ गए थे. तब से लेकर अब तक 5 माह हो गए फिर से मेडिकल कॉलेज की पढ़ाई का इंतजार करते हुए. स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने उस वक्त आश्वासन दिया था कि वे उनकी पढ़ाई को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद मोदी को पत्र लिखेंगे. उन्होंने केंद्र सरकार को 2 बार पत्र भी लिखा, लेकिन 5 माह बाद भी कुछ नहीं हो पाया है.

हालात से हताश छात्रों ने आज स्वास्थ्य मंत्री के बंगले से लेकर मुख्यमंत्री आवास तक रैली निकाली. स्वास्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्री दोनों से मुलाकात नहीं पाने की स्थिति में छात्रों ने ज्ञापन सौंपा. रैली में छात्र-छात्राओं के अभिभावक भी पहुंचे थे, जिन्होंने लल्लूराम डॉट कॉम से चर्चा में कहा कि उन्होंने अपने खून-पसीने की कमाई से बच्चों को यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करा रहे थे. कोरबा से सुनील पुरोहित बताते हैं कि 12 लाख का लोन लेकर अपने बच्चे को पढ़ा रहे थे, लेकिन युद्ध की वजह से उनकी पढ़ाई बीच में ही रुक गई है.

अभिभावकों ने कहा कि जैसे तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, ओडिशा, प बंगाल के मुख्यमंत्री ने घोषणा की हैं कि हमारे स्टेट के बच्चे हमारे स्टेट में ही पढ़ेंगे, वैसे ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से विनती कर रहे हैं कि छत्तीसगढ़ के 13 मेडिकल कॉलेजों में बच्चो को एडजेस्ट कर दें. अभिभावकों ने भूपेश बघेल पर पूरा विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि हमर कका एला जरूर करही छतीसगढ़िया ही छतीसगढ़िया के काम आता हैं.

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