रायपुर. महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेंड़िया ने आज रायपुर में पोषण देखरेख कार्यक्रम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए हितधारकों की भूमिका और समन्वय विषय पर राज्य स्तरीय कार्यशाला का शुभारंभ किया. कार्यशाला में देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों के पुनर्वास और उन्हें समाज की मुख्य धारा में शामिल करने पर चर्चा की गई. इस अवसर पर मंत्री भेंड़िया ने पोषण देखरेख (फॉस्टर केयर) कर रहे दो पोषक परिवारों को भी सम्मानित किया.

कार्यशाला का आयोजन महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से यूनिसेफ के सहयोग से किया गया है. मंत्री भेंड़िया ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कुशल नेतृत्व में विभाग ने महिलाओं एवं बच्चों के लिए कई कल्याणकारी कदम उठाए हैं. राज्य सरकार की प्राथमिकता सभी बच्चों का सर्वांगीण विकास है, इसमें वे बच्चे भी शामिल है, जिन्हें विभिन्न कारणों से संस्थाओं में रहना पड़ रहा है. वास्तव में किसी व्यक्ति का सम्पूर्ण विकास परिवार और समाज के बीच ही हो सकता है. इसे ध्यान में रखकर किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 में गैर संस्थागत देखरेख का समावेश किया गया है.

मंत्री भेंड़िया ने कहा कि पोषण देखरेख (फॉस्टर केयर) संस्था के बाहर बच्चों की देखरेख का एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है. मिशन वात्सल्य के अंतर्गत देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों को पारिवारिक वातावरण उपलब्ध कराने के लिए गैर नातेदार परिवार में वैकल्पिक अस्थाई देखरेख और संरक्षण की व्यवस्था की जाती है. इससे पोषक परिवार में जहां उत्साह, उमंग का संचार होता है, वहीं बच्चे को समुचित विकास का पूरा अवसर मिलता है.

मंत्री भेंड़िया ने अपील की है कि समाज के सभी वर्ग, स्वयंसेवी संस्थाएं, सरकार के साथ बच्चों को पारिवारिक वातावरण और विकास के सभी अवसर उपलब्ध कराने एकजुट हों, जिससे एक योग्य नागरिक तथा सशक्त भारत का निर्माण हो सके. छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने बच्चों के लिए प्राकृतिक पोषण आहार की उपयोगिता बताई. उन्होंने पैक्ड फूड की जगह प्राकृतिक पोषक आहार अपनाने की समझाइश दी.

पिछले साल 165 बच्चों को मिला लाभ
संचालक दिव्या मिश्रा ने बताया कि छत्तीसगढ़ में बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए उल्लास, उम्मीद और उजियार कार्यक्रम पर काम किया जा रहा है. आज इसमें चैथे यू के रूप में उमंग जोड़ा जा रहा है. राज्य में 45 बाल गृह और 13 विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरण संचालित है. विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरण में 119 बच्चे निवासरत है. वर्ष 2021-22 में 112 बच्चों को दत्तक ग्रहण के माध्यम से पुनर्वासित किया गया. अभी 54 बच्चे पोषण देखरेख कार्यक्रम के लिए चिन्हांकित है. अब तक प्रदेश में 4 बच्चे पोषण देखरेख के तहत परिवारों का हिस्सा बने हैं. पिछले वित्तीय वर्ष में स्पॉन्सरशिप के अंतर्गत 165 बच्चों को लाभ दिया गया है.

छग के 10 जिलों में विशेष फोकस
यूनिसेफ के राज्य प्रमुख जॉब जकारिया ने बताया कि विश्व में 75 लाख बच्चे संस्थानों में रहते हैं, लगभग 2 लाख बच्चे सड़कों में रहते हैं. संयुक्त राष्ट्र महासंघ ने बच्चों को घर या वैकल्पिक परिवार में रखने का प्रावधान किया है. इस आधार पर परिवार आधारित बच्चों का देखरेख प्रोग्राम तैयार किया गया है. छत्तीसगढ़ के 10 जिलों में इस पर विशेष फोकस कर काम किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ राज्य बधाई का पात्र है कि वह देश के अन्य प्रदेशों से आगे हैं. मिशन वात्सल्य के तहत देखरेख के लिए प्रति माह 4 हजार रुपए तक की राशि भी दी जाती है.


दो पोषक परिवारों का हुआ सम्मान
कार्यशाला में बच्चों का पालन-पोषण और देखरेख कर रहे पोषक परिवार रायपुर के प्रताप एवं दुर्गा महापात्रे और कांकेर के कृषक परिवार के खोरबहरा राम और चंदा बाई का सम्मान किया गया. इस अवसर पर दिल्ली से आई यूनिसेफ की बाल संरक्षण विशेषज्ञ वंदना कन्धारी और अन्य विशेषज्ञों ने पोषण देखरेख पर जानकारी दी. इस अवसर पर जिलों के बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष, सदस्य, जिला बाल संरक्षण अधिकारी और बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष व सचिव, बाल गृहों के अधीक्षक, विशेष किशोर पुलिस इकाई के प्रतिनिधि, स्वयं सेवी संस्थाओं के सदस्य और पोषण देखरेख के लिए चयनित पोषक परिवार उपस्थित थे.