मनोज उपाध्याय,मुरैना। मप्र के मुरैना में रेत माफिया पर अंकुश नहीं लग पा रहा है. अंधाधुंध तरीके से अवैध उत्खनन कर रहे माफिया ने चंबल नदी को छलनी कर रखा है. जेसीबी और हाइड्रा जैसी मशीनों से दिनदहाड़े अवैध उत्खनन किया जा रहा है. इसका सबसे बुरा असर जलीयजीवों पर हो रहा है. चंबल नदी में जहां-जहां अवैध उत्खनन हो रहा है, वहां-वहां से जलीयजीव पलायन कर चुके हैं. माफिया ने नदी के किनारों को खोद-खोदकर छलनी कर दिया है. जिससे चंबल का पूरा स्वरूप ही बिगड़ गया है.

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चंबल नदी में घड़ियाल, मगरमच्छ, कछुआ और डाल्फिन जैसी मछलियां पाई जाती हैं. घड़ियाल, मगरमच्छ और कछुआ जैसे जलीय जीव अपना वंश बढ़ाने के लिए नदी किनारे के रेत के टीलों में अण्डे देते हैं. इन्हीं रेत के टीलों को जलीयजीवों का रहवास कहा जाता है. रेत माफिया के कारण जलीयजीवों के रहवास किस तरह नष्ट हो रहे हैं. यह देखना और समझना है, तो मुरैना-धौलपुर बार्डर पर राजघाट की हालत देखिए.  कुछ साल पहले तक यहां रेत से कछुआ, मगरमच्छ व घड़ियालों के अण्डे निकलते थे, नदी में यह जलीयजीव जगह-जगह नजर आते थे.

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लेकिन राजघाट पर जेसीबी व हाइड्रा जैसी मशीनों से हर रोज करीब डेढ़ हजार ट्राली रेत निकाला जा रहा है. रेत माफिया ने रेत के टीले गायब कर रेत निकालने के लिए किनारों को जगह-जगह खोदकर तालाब से बना दिए हैं. राजघाट क्षेत्र से डाल्फिन सालों पहले गायब हो चुकी हैं. अब घड़ियाल व मगरमच्छ भी नहीं दिखते. यह हालत केवल राजघाट की नहीं, बल्कि बरवासिन, भानपुर, अटारघाट, रऊघाट,  नगरा, उसैद जैसे 25 से ज्यादा घाट हैं. जहां रेत का अवैध उत्खनन हो रहा है. इन सभी जगहों से जलीयजीव पलायन कर गए हैं. रेत माफिया ने इन घाटों से रेत निकालने के लिए अलग सड़कें बना रखी हैं. जिन पर किसी आम आदमी का जाना खतरे से खाली नहीं.

चंबल नदी से इतनी मात्रा में रेत का अवैध उत्खनन हो रहा है कि वह मुरैना, ग्वालियर व राजस्थान के धौलपुर में भी नहीं खप पा रहा है. ऐसे में रेत माफिया ने चंबल नदी के किनारों से लेकर बीहड़ों में अवैध रेत के स्टाक कर रखे हैं. राजघाट पर चंबल नदी किनारों पर ही 700 से ज्यादा छोटे-छोटे टीले बनाकर रेत का स्टाक कर रखा है. घाट के आसपास जैतपुर, भानपुर, पिपरई, मसूदपुर, गोसपुर, जनकपुर, केंथरी, तोरखेरा गांव के आसपास बीहड़ों में हजारों डंपर रेत का स्टाक रखा हुआ है. बारिश के सीजन में जब चंबल नदी उफान पर होती है. तब रेत माफिया स्टाक किए गए रेत को महंगे दामों में खपाते हैं.

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