रायपुर. असुरक्षा, जलन और ईष्या प्राकृतिक रूप से सभी में होती है लेकिन जब यह आवश्यकता से ज्यादा या कम हो जाए तो आपको नुकसान पहुंचाने लगती है. हीन भावना या आत्म सम्मान के कमजोर होने का सीधा संबंध है. आप अपने प्रति कैसा महसूस करते हैं, अगर आप खुद को कमतर महसूस करते हैं तो अधिकांश मौकों पर दूसरों पर आपका प्रभाव भी वैसा ही होता है. जब आप में आत्मविश्वास नहीं है तो आपकी बातचीत, व्यवहार और हाव-भाव में भी वह नहीं दिखेगा. दरअसल अपने आपको दूसरों से कम आंकना या किसी भी तरह की हीन भावना से ग्रसित रहना आपके उत्कर्ष के मार्ग की सबसे बड़ी बाधा है.

हीन भावना आपकी खूबियों को भी बुरी तरह प्रभावित करती है. हीन भावना ही आपकी चिंता और हताशा का भी बड़ा कारण है और कई बार इसके बड़े गंभीर नकारात्मक परिणाम भी होते हैं. हीन भावना परिवारिक कमजोर स्थिति, शारीरिक कमजोरी, मानसिक विकलता अथवा दूसरो की स्थिति को देखकर तुलना और उस तुलनात्मक स्थिति में स्वयं को कमजोर पाने के कारण होता है. व्यवहारिक रूप से इस तरह परिभाषित किया जा सकता है किंतु ज्योतिषीय गणना में किसी की कुंडली देखकर बताया जा सकता है कि कौन सा व्यक्ति हीनभावना का शिकार होगा. तीसरे स्थान से मनोबल देखा जाता है यदि इस स्थान का स्वामी विपरीत कारक हो जाए अथवा पाप ग्रहों से आक्रांत हो जाए तो ऐसे में कमजोर मनोबल के कारण हीन भावना आती है.

यदि किसी का तृतीयेश शनि हो और शनि की तीसरे स्थान पर पूर्ण दृष्टि हो तो अथवा तीसरे स्थान पर राहु हो, तो हीनभावना घर कर जाती है. सूर्य से प्रभावित व्यक्ति राजा के समान होता है, आदेश देना ही अच्छा लगता है. ऐसे व्यक्ति किसी के नीचे काम नहीं कर पातें किंतु यदि सूर्य नीच को अथवा छठवे आठवे बारहवे स्थान पर हो जाए तो उस पर हीनभावना देता है. मंगल ग्रह प्रभावित व्यक्ति दृढ़ निश्चियी होते है, किंतु मंगल के कमजोर होने पर भी आत्मविश्वास में कमी से हीनभावना आती हैं वहीं गुरु सलाहकार होता है. यह सभी को सही सलाह ही देते हैं किंतु अगर गुरू कमजोर अथवा पाप ग्रहों से आक्रांत हो अथवा तृतीयेश होकर गुरू तीसरे स्थान पर हो जाए तो हीनभावना का कारण बनता है.

हीनता भावना से बचने के लिए आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना सूर्य की उपासना के लिए इससे अच्छा और सटीक उपाय दूसरा नहीं है आदित्य हृदय स्तोत्र के नियमित पाठ से बहुत शीघ्र ही व्यक्ति का आत्मविश्वास और मनोबल बढ़ने लगता है और व्यक्ति अपनी प्रतिभाओं का अच्छा प्रदर्शन करने लगता है इसके पाठ से डिप्रेसन और नेगेटिव थिंकिंग की समस्या का भी समाधान हो जाता है और हीनभावना दूर भाग जाती हैं इसके अलावा प्रतिदिन ताम्र पात्र से प्रातः काल में सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए और सूर्य मंत्र – ॐ घृणि सूर्याय नमः का प्रतिदिन जाप करें. गुरु बुद्धि व ज्ञान का कारक है. ज्ञान से आत्मविश्वास बढ़ता है। यदि यह अशुभ स्थानों में हो तो निम्न उपाय करें. ’गुरु के साथ रहें, उनका आदर करें, पीली वस्तुओ का दान करें.