रायपुर। विश्व स्तर पर 28 मई को हर साल मासिक धर्म स्वच्छता दिवस (मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे) के रूप में मनाया जाता है. लेकिन महवारी के दौरान  स्वच्छ प्रथाओं को लेकर आज भी 79% लड़कियां और महिलाएं अनजान हैं. इसका दूसरा पहलू भी है कि सैनिटरी पैड का उपयोग करने वाली एक महिला अपने जीवन काल में 125 किलोग्राम गैर-बायोडिग्रेडेबल कचरा उत्पन्न करती है.

महिलाओं के स्वास्थ्य और माहवारी स्वच्छता के महत्व पर यूनिसेफ छत्तीसगढ़ के प्रमुख जॉब ज़कारिया से बातचीत गई.

जॉब ज़कारिया, प्रमुख, यूनिसेफ छत्तीसगढ़

मासिक धर्म स्वच्छता (मेंस्ट्रुअल हाइजीन) और स्वास्थ्य क्यों महत्वपूर्ण है? 

माहवारी के दौरान स्वच्छता का ख़याल न रखने से सर्वाइकल कैंसर, हेपेटाइटिस-बी, त्वचा संक्रमण और प्रजनन पथ के संक्रमण जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है. इसका प्रभाव लड़कियों और महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ सकता है, जिससे उन्हें अवसाद, चिंता, भय और आत्मसम्मान-आत्मविश्वास की कमी जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.

मासिक धर्म लड़कियों और महिलाओं को कैसे प्रभावित करता है?

मासिक धर्म के प्रति लोगों में गलत धारणाये हैं. अक्सर, पीरियड्स में लड़कियों को सामाजिक और धार्मिक गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति नहीं होती है और उनकी आवाजाही प्रतिबंधित होती है. पीरियड्स शुरू होने पर कई लड़कियां स्कूल छोड़ देती हैं. उदाहरण के लिए, भारत में कक्षा 6-8 में लड़कियों का सकल नामांकन अनुपात 89% है, जो कक्षा 9-10 में 77% और कक्षा 11-12 में 51% हो गया है। मासिक धर्म की शुरुआत के साथ, लड़कियों को बाल विवाह और गर्भ धारण के लिए प्रेरित किया जाता है. सुविधाओं की कमी के कारण स्कूल में लड़कियों और कार्यस्थलों पर महिलाओं की अनुपस्थिति बढ़ जाती है.

इस वर्ष मासिक धर्म स्वच्छता दिवस का थीम क्या है?

इस वर्ष मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे का थीम है- “मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता (मेंस्ट्रुअल हेल्थ एंड हाइजीन) की दिशा में अधिक प्रयास और निवेश!” उपयोग किए गए हैशटैग हैं: #MHDay2021 और #ItsTimeForAction. हमारा उद्देश्य चुप्पी तोड़ना, जागरूकता बढ़ाना और मासिक धर्म स्वच्छता से जुड़ी ऐसी नकारात्मक प्रथाओं को बदलना है, जो लड़कियों और महिलाओं के स्वास्थ्य और हित को प्रभावित करते हैं.

पीरियड्स के दौरान भारत में कितनी महिलाएं और लड़कियां सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल करती हैं?

भारत में, 58% लड़कियां और महिलाएं पीरियड्स के दौरान हाइजीनिक एब्जॉर्बेंट का इस्तेमाल करती हैं. एनएफएचएस -4 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में जहां 42% महिलाएं सैनिटरी नैपकिन का उपयोग करती हैं, वहीं 16% स्थानीय रूप से तैयार नैपकिन और 2.4% टैम्पोन का उपयोग करती हैं. लगभग दो-तिहाई (62%) महिलाएं कपड़े का उपयोग करती हैं. मेंस्ट्रुअल कप का उपयोग लगभग शून्य है. छत्तीसगढ़ में सिर्फ 47 फीसदी लड़कियां और महिलाएं ही हाइजीनिक तरीकों का इस्तेमाल करती हैं, और 81 फीसदी अभी भी कपड़ों का इस्तेमाल करती हैं.

कौन सा मेंस्ट्रुअल अब्सॉर्बेंट सबसे अच्छा है?

लड़कियों और महिलाओं को अपनी पसंद और आराम के अनुसार मासिक धर्म अवशोषक (मेंस्ट्रुअल अब्सॉर्बेंट) का चयन करना चाहिए. हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि महिलाओं के लिए मेंस्ट्रुअल कप और पुन: प्रयोज्य नैपकिन जैसे स्वच्छ मासिक धर्म अवशोषक (हेल्थी मेंस्ट्रुअल अब्सोर्बंटस) की एक श्रृंखला उपलब्ध हो.

माहवारी के दौरान स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए क्या करना चाहिए?

महिलाओं को केवल स्वच्छ मासिक धर्म अवशोषक (क्लीन मेंस्ट्रुअल अब्सॉर्बर्स) का उपयोग करना चाहिए और इसे हर 3-4 घंटे के उपयोग के बाद बदलना चाहिए. इसके अलावा, उन्हें जननांग क्षेत्र को साफ रखना चाहिए; अवशोषक (जैसे सेनेटरी नैपकिन) बदलने से पहले और बाद में साबुन से हाथ धोएं, प्रतिदिन स्नान करें; रोजाना ताजा अंडर गारमेंट्स पहनें; और आरामदायक कपड़े पहनें. उन्हें आयरन युक्त भोजन जैसे हरी पत्तेदार सब्जियां खानी चाहिए और हर हफ्ते आयरन (आईएफए) की गोलियों का सेवन करना चाहिए.

महिलाओं के लिए क्या सुविधा उपलब्ध कराई जाए?

महिलाओं को सार्वजनिक स्थानों और कार्यस्थलों में पानी, सेनेटरी नैपकिन, टॉयलेट, स्नान और निपटान की सुविधायुक्त सुरक्षित स्थान की आवश्यकता होती है, ताकि वे सुरक्षा और सम्मान के साथ मासिक धर्म का प्रबंधन कर सकें. इसी तरह की सुविधा लड़कियों के लिए स्कूलों में भी उपलब्ध होनी चाहिए.

 प्रमुख रूप के कौन कौन से माहवारी सुरक्षा एवं स्वच्छता कार्यक्रम संचालित किये जा हैं?

मासिक धर्म स्वच्छता और स्वच्छता विषय पर आधारित अनेक राष्ट्रीय कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. इनमें आयुष्मान भारत के तहत स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम, 10-19 वर्ष की किशोरियों के लिए राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके), स्वच्छ भारत मिशन- दूसरा चरण और भारत में 3,600 केंद्रों (छत्तीसगढ़ में 230 केंद्रों) के माध्यम से बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी नैपकिन प्रदान करने के लिए जनऔषधि सुविधा कार्यक्रम.

क्या मासिक धर्म के रक्त से COVID फैलता है?

नहीं, COVID मासिक धर्म के रक्त से नहीं फैलता है. COVID केवल संक्रमित लोगों के साथ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उनके खांसने, छींकने, बात करने आदि से निकलने वाली बूंदों के माध्यम से फैलता है.

क्या मासिक धर्म के दौरान COVID टीकाकरण लेना सुरक्षित है?

हाँ. मासिक धर्म के दौरान COVID टीकाकरण लिया जा सकता है और मासिक धर्म से टीके की दक्षता कम नहीं होती है.

मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता में सुधार के लिए क्या करना चाहिए?

हमें 5 कदम उठाने होंगे. सबसे पहले, लड़कियों और महिलाओं को पिता, भाइयों, पुत्रों, पति और परिवार के सदस्यों और समाज के समर्थन की आवश्यकता होती है, क्योंकि मासिक धर्म स्वच्छता केवल महिलाओं का मामला नहीं है. दूसरा हमें मासिक धर्म पर चुप्पी तोड़ने और युवा लड़कियों और लड़कों को शिक्षित करने की जरूरत है. तीसरा हमें मासिक धर्म से जुड़ी सामाजिक वर्जनाओं को समाप्त करना चाहिए. चौथा महिलाओं को कई प्रकार के माहवारी अवशोषक (मेंस्ट्रुअल अब्सॉर्बेंट) और ज़रूरी सुविधाओं से युक्त सुरक्षित स्थान उपलब्ध करवाए जाने चाहिए. पांचवां मासिक धर्म स्वच्छता कार्यक्रमों में अधिक निवेश की आवश्यकता है.

मासिक धर्म से जुड़े कुछ तथ्य

• एक महिला को अपने जीवनकाल में 5-7 दिनों की लगभग 450 माहवारी होती है. यह उनके जीवन के 7 साल के बराबर है,
• भारत में हर महीने करीब 40 करोड़ लड़कियां और महिलाएं पीरियड्स से गुजरती हैं.
• भारत में 62% और छत्तीसगढ़ में 81% महिलाएं मासिक धर्म के दौरान कपड़े को शोषक के रूप में इस्तेमाल करती हैं.
• भारत में 71% लड़कियों को उनकी पहली माहवारी से पहले मासिक धर्म के बारे में पता नहीं था
• 79% लड़कियां और महिलाएं मासिक धर्म स्वच्छता प्रथाओं (मेंस्ट्रुअल हाइजीन प्रक्टिसेस) से अनजान हैं.
• सैनिटरी पैड का उपयोग करने वाली एक महिला अपने जीवन काल में 125 किलोग्राम गैर-बायोडिग्रेडेबल कचरा उत्पन्न करती है.