Uniform Civil Code को लेकर केंद्र सरकार जल्द ही बड़ा फैसला ले सकती है. ऐसे में यून‍िफॉर्म सिविल कोड को लेकर अलग-अलग राय सामने आ रही है. एक तबका इसे देश की तरक्की के लिए बेहतर कदम बता रहा है, तो दूसरा तबका इसे संविधान विरोधी कह रहा है. जानिए Uniform Civil Code के बारे में…

यूनिफॉर्म सिविल कोड क्या है?

Uniform Civil Code एक धर्मनिरपेक्ष कानून है जो देश के सभी नागरिकों को समानता का अधिकार देता है. इसके लागू होने से देश में सभी धर्म के लोगों के लिए समान कानून हो जाएगा. पूरे देश में सभी धर्म के लोगों के लिए शादी, तलाक, बच्चा गोद लेने, प्रॉपर्टी पर हक मांगने जैसे अधिकार एक समान होंगे.

संविधान में यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड का प्रावधान

यूनिफॉर्म सिविल कोड संविधान के अनुच्छेद 44 के अंतर्गत आता है और इसमें कहा गया है कि इसे लागू करना राज्य की जिम्मेदारी है. लेकिन आज तक यह पूरे देश में लागू नहीं हो पाया है. उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे प्रदेश में लागू करने की बात कही थी. इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार के भी मंत्रियों ने यह बात कही. अब असम के मुख्यमंत्री हिमन्त बिश्व सरमा ने भी इसे दोहराया है.

यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने पर क्या बदलाव होंगे?

Uniform Civil Code यदि लागू होता है, तो मुस्लिमों में होने वाले तीन तलाक या तीन शादियां करने जैसा नियम खत्म हो जाएगा. अभी मुस्लिम समुदाय अपने कानून के हिसाब से कोई निर्णय लेता है, लेकिन यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से समान कानून का पालन करना पड़ेगा. वहीं अन्य समुदाय में शादी-विवाह, जमीन जायदाद, संतान और विरासत जैसे मामलों में जो अलग-अलग रियायतें हैं, वह भी खत्म हो जाएंगी. इससे महिलाओं का अपने पिता की संपत्ति पर अधिकार और गोद लेने जैसे मामलों में भी एक समान नियम लागू होंगे.

दुनिया के इन देशों में है कानून

पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्की, इंडोनेशिया, सूडान और इजिप्ट जैसे कई देशों में Uniform civil code लागू किया जा चुका है.

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