रायपुर। राष्ट्रीय नृत्य महोत्सव में एक तरफ जहां देश-विदेश के आदिवासी कलाकारों की प्रस्तुति के अलावा एक अनूठी प्रदर्शनी भी आयोजित की गई है, जहां छत्तीसगढ़ के जंगलों में गुजर—बसर करने वाले लोगों के जीवन की झलकियों को प्रस्तुत किया गया है. मस्ट आर्ट गैलरी की डायरेक्टर तुलिका केडिया की कृतियों पर आधारित इस प्रदर्शनी को डॉ अलका पांडे ने फेस्टिवल के लिए खासतौर से क्यूरेट किया है.

तुलिका केडिया कला का प्रस्तुति के लिए अवसर दिए जाने पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और छत्तीसगढ़ सरकार का आभार जताया है. वहीं डॉ अलका पांडे ने प्रदर्शनी की प्रेरणा के बारे में बताया कि जल, जंगल, जमीन की संकल्पना पर काम करते हुए मेरी भीतरी दृष्टि लगातार उन जनजातीय और लोक समाज से जुड़ी गोंड चित्रकलाओं पर जमी रही थी, और मैं यह देखकर हतप्रभ थी किस तरह एक साधारण बिंदु की मदद से ये समाज जटिल कलाकृतियों को बनाते हैं. अमूर्त गोंड पेंटिंग्स कलाकार की सैंकड़ों भावनाओं और उसके उद्देश्यों को खूबसूरती से प्रस्तुत करती हैं.

गोंड पेंटिंग्स के अलावा बस्तर के ब्रॉन्ज़ शिल्प भी दुनियाभर में छत्तीसगढ़ को पहचान दिलायी है. इस प्रदर्शनी में धातु, टैराकोटा और काष्ठ में ढली कलाकृतियों को समेटा गया है. प्रदर्शनी में टोटेम पोल, मास्क, कॉम्ब, पॉटरी, पेंटिंग के अलावा संगीत वाद्यों और गोदना कलाकर्म को भी प्रस्तुत किया गया है.

प्रदर्शनी में सोना बाई के भित्ती चित्रों की जीवंत संस्कृति, लखनपुर, अंबिकापुर, बाबी सोनावाने की कृतियों पर विहंगम दृष्टि के साथ ही छत्तीसगढ़ की कला एवं संस्कृति पर डॉ. अलका पांडे द्वारा एक विशेष ऑडियो विजुअल प्रस्तुति भी शामिल होगी. इसके अलावा
जल जंगल ज़मीन प्रदर्शनी में छत्तीसगढ़ के आदिवासी समाज और सामान्य जन जीवन एवं संस्कृति की झलक दिखाई जाएगी. राज्य के जंगलों में गुजर बसर करने वाले वनवासियों के जीवन से मृत्यु तक के कर्मकांडों, रीतियों, प्रथाओं, उत्सवों और दैनिक जीवन की झांकियों को इसमें समेटा गया है.