नई दिल्ली। केजरीवाल सरकार ने सरकारी स्कूलों के लिए रविवार को अनूठे वर्चुअल मेगा बुक फेयर का आयोजन किया. अपनी तरह के इस पहले वर्चुअल मेगा बुक फेयर के ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म से शिक्षा निदेशालय के स्कूल अपने पुस्तकालयों के लिए बेहतरीन किताबें को चुन सकेंगे. वे किताबों के लिए पब्लिशर्स (प्रकाशक) को ऑनलाइन आर्डर दे सकेंगे और किताबें स्कूलों तक पहुंचाई जा सकेंगी. इससे समय की काफी बचत होगी और पूरी प्रक्रिया भी पारदर्शी बनी रहेगी.
उपमुख्यमंत्री और शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस वर्चुअल मेगा बुक फेयर का उद्घाटन किया. इस मौके पर उपमुख्यमंत्री ने कहा कि देश में यह पहली बार है, जब किसी राज्य के सारे स्कूल एक साथ इस तरह के बुक फेयर में वर्चुअल रूप से शामिल हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि बच्चों के सर्वांगीण विकास में किताबों का महत्वपूर्ण योगदान होता है. इसके महत्व को समझते हुए केजरीवाल सरकार ने पिछले 5 सालों में अपने स्कूलों की लाइब्रेरी में काफी महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं. उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को अच्छी किताबें उपलब्ध करवाना है. इस दिशा में वर्चुअल मेगा बुक फेयर का ऑनलाइन प्लेटफॉर्म महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और इसकी मदद से बच्चों को अच्छी किताबें मिल सकेंगी.
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि टेक्नोलॉजी के माध्यम से बुक फेयर में दिल्ली के स्कूल में पढ़ रहे एक-एक बच्चे और टीचर की भागीदारी को सुनिश्चित किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इसके पीछे यह उद्देश्य है कि किसी भी स्कूल की लाइब्रेरी के लिए जो भी किताबें खरीदी जाए, वह बच्चों और शिक्षकों की पसंद और उनकी जरूरत के अनुकूल हों. दिल्ली में 2017 तक ऐसा नहीं था, लेकिन अब दिल्ली के सरकारी स्कूल अपने बच्चों और शिक्षकों की आवश्यकता के अनुसार किताबें खरीद सकते हैं. उन्होंने कहा कि बच्चों के सर्वांगीण विकास में किताबों का बहुत बड़ा योगदान होता है. दिल्ली सरकार ने इसके महत्व को समझते हुए 4-5 सालों में दिल्ली के सरकारी स्कूलों की लाइब्रेरियों में बेहद महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं. शिक्षकों और बच्चों से लाइब्रेरी के किताबों के चयन को लेकर सुझाव लिए गए और लाइब्रेरी में उन किताबों को शामिल किया गया, जो बच्चों के सकारात्मक विकास में भागीदार बन सकती हैं.
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि अब एक स्क्रूटनी कमेटी यह तय करती है कि किसी पब्लिशर (प्रकाशक) की किताबें कितनी अच्छी हैं, वह बच्चों के लिए कितनी उपयोगी है, यह किताब लाइब्रेरी में होनी चाहिए, जो बच्चों की दोस्त की तरह काम करेंगी और बच्चों के करियर में उन्हें गाइड करेंगी. साथ ही बच्चों के सपनों को सच करने में उनकी मदद करेंगी. कमिटी यह तय करती है कि किताबें खरीदी जाने लायक हैं और लाइब्रेरी के लिए उपयोगी हैं या नहीं हैं. इसकी सूची तैयार होने के बाद शिक्षा निदेशालय की तरफ से एक ऑफ लाइन बुक फेयर का आयोजन किया जाता था, जहां स्कूल अपनी जरूरत के हिसाब से किताबें खरीद सकते थे.
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इस बार भी स्क्रूटनी कमिटी ने 8000 किताबों की एक लिस्ट तैयार की है और शिक्षा निदेशालय के आईटी और लाइब्रेरी ब्रांच ने मिलकर एक ऐसा प्लेटफॉर्म तैयार किया है, जहा स्कूल ऑनलाइन माध्यम से वर्चुअल मेगा बुक फेयर से जुड़कर अपने शिक्षकों और विद्यार्थियों की जरूरत के हिसाब से किताबों को खरीद सकते हैं. इसके लिए इस साल दिल्ली सरकार ने दिल्ली के 1031 सरकारी स्कूलों के लिए 9 करोड़ रुपए आवंटित किया है. इस बुक फेयर में 220 पब्लिशर्स की 8000 किताबों को चयनित किया गया है. इन विभिन्न पब्लिशर्स की किताबों को 14 नवम्बर से 1 दिसम्बर तक शिक्षा निदेशालय की वेबसाइट पर प्रदर्शित किया जाएगा.
ऐसे काम करेगा वर्चुअल मेगा बुक फेयर का ऑनलाइन मॉड्यूल
1. स्कूल- स्कूल वर्चुअल मेगा बुक फेयर से अपने पुस्तकालयों व बच्चों की जरूरतों के अनुसार वर्चुअल टूर के माध्यम से किताबों का चयन करेंगे और किताबों को खरीदने के लिए पब्लिशर्स को ऑर्डर दे पाएंगे.
2. पब्लिशर्स- पब्लिशर्स इस ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म से स्कूलों से किताबों के आर्डर लेंगे और किताबों को स्कूलों तक पहुँचाने का काम करेंगे.
3. शिक्षा निदेशालय का लाइब्रेरी ब्रांच इस पूरी प्रक्रिया पर नज़र बनाए रखेगा और लगातार मॉनिटरिंग करता रहेगा.
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