निशा मसीह, रायगढ़। पुलिसकर्मियों के लिए वरदान साबित हो रहा है ‘पुलिस बैंक’. दरअसल रायगढ़ जिले में सामुदायिक पुलिसिंग के तहत पुलिस ने अपना खुद का एक बैंक बनाया है और ये बैंक आज पूरे छत्तीसगढ़ में पुलिसकर्मियों के लिए वरदान साबित हो रहा है.
इस बैंक की खासियत है कि इसमें पुलिसवालों को कम ब्याज पर लोन दिया जाता है. साथ ही उन्हें ज्यादा राशि जमा करने पर ज्यादा ब्याज देने की शुरूआत हुई है. इस बैंक ने पुलिसकर्मियों के लिए समय पर सहायता देने का भी एक कीर्तिमान स्थापित किया है. 11 अप्रैल 2017 को इसकी शुरूआत हुई थी. इसकी प्रारंभिक राशि मात्र 35 लाख थी, जो अब बढ़कर 1 करोड़ 10 लाख रुपए से ऊपर पहुंच चुकी है.
इतना ही नहीं, इस बैंक में सदस्यों की संख्या 670 तक पहुंच गई है. बैंक ने जिला पुलिस कर्मचारी शाखा एवं जन कल्याण समिति के माध्यम से संचालित इस बैंक में 79 अधिकारी और कर्मचारी को लोन भी दिया है, जिसमें से 22 पुलिसकर्मियों को बीमारी के लिए, 33 कर्मचारियों को शिक्षा के लिए और 11 कर्मचारियों को मकान बनाने और मरम्मत के लिए लोन दिया गया है.
कम ब्याज पर लोन
इतना ही नहीं विवाह के समय भी पुलिसकर्मियों की सहायता के लिए ये बैंक सामने आया है. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक यूबीएस चौहान ने बताया कि कई बार आर्थिक स्थिति के चलते पुलिस अधिकारी और कर्मचारियों को ज्यादा ब्याज में दूसरे बैंकों या साहूकारों से लोन लेना पड़ता है, लेकिन सामुदायिक पुलिसिंग के तहत बनाए गए इस बैंक की स्थापना का उद्देश्य है कि उन्हें कम ब्याज पर लोन मिले और उनकी समस्याओं से उन्हें निजात मिले.
पुलिस का खुद का बैंक स्थापित होने से सीधे-सीधे पुलिसकर्मी और अधिकारी कम ब्याज में ऋण लेने के लिए आगे आ रहे हैं. इतना ही नहीं इसके जमा के बदले बाकायदा ब्याज भी देकर और अधिक सहयोग देने की मंशा बैंक की है और जल्द ही इस बैंक के पासबुक भी पुलिस बैंक के खातेदारों को दी जाएगी.
वहीं इस बैंक के संचालन के लिए भी खुद पुलिस के ही लोग लगे हुए हैं और पूरे सिस्टम को कम्प्यूटराइज्ड करके खातेदारों को सुविधा दी जाती है. इस बैंक की तारीफ करते हुए जिले के पुलिस अधीक्षक बद्रीनारायण मीणा कहते हैं कि बैंक के खातेदारों को अलग से शेयर भी उनके जमा रकम के बदले देने की परंपरा शुरू की गई है और मात्र एक साल के भीतर इस बैंक ने उन पुलिसकर्मियों को सर्वाधिक सहायता दी है, जिन्हें समय पर न लोन मिलता था और न ही पैसा.