धनराज गवली, शाजापुर। दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन की पूजा होती है। गवली समाज द्वारा इस पूजा का विशेष महत्व है, क्योंकि गवली समाज पशु पालक होने के साथ-साथ गौमाता में गहरी आस्था रखता है। इसके चलते पड़वा के दिन गाय के गोबर से समाज की महिलाओं द्वारा गोवर्धन की आकृति बनाई जाती है, जिसके पश्चात 56 भोग लगाकर गोवर्धन की पूजा की जाती है। जिसके पश्चात छोट-छोटे बच्चों को गाय के गोबर से बने गोवर्धन में लेटाया जाता है, जिससे वे वर्ष भर निरोगी रहे। यह परंपरा गवली समाज द्वारा कई पीढ़ियों से निभाई जा रही है।
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शाजापुर गवली समाज ने हजारों वर्ष पुरानी परंपरा का निर्वहन करते हुए शनिवार को गाय के गोबर से गोवर्धन महाराज की आकृति बनाकर खीर-पूरी एवं 56 भोग चढ़ाकर गोवर्धन पूजा की। इसके बाद गोवर्धन में दूध मुंहे बच्चों को लेटा कर सुख-समृद्धि की कामना की। शाजापुर गवली समाज द्वारा दीपावली की पड़वा पर वर्षों पुरानी परंपरा का निर्वहन करते हुए गोवर्धन पूजा की। इस अवसर पर नई सड़क पर स्थित गवली मोहल्ले में गवली समाज की महिलाओं द्वारा गाय के गोबर से गोवर्धन महाराज की आकृति का निर्माण किया गया। जिसके बाद समाज के सभी वरिष्ठजनों ने गोवर्धन की पूजा की।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ग्वाल वंश को भगवान इंद्रदेव के प्रकोप से बचने के लिए श्री कृष्ण भगवान ने गोवर्धन को अपनी उंगली से उठाया था। इसके बाद से ही गोवर्धन महाराज की पूजा ग्वाल वंशियों द्वारा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि गोवर्धन महाराज की पूजा-अर्चना करने से ग्वाल वंशियों के धन-भंडार भरे रहते हैं और उन पर कोई विपदा नहीं आती है। इस परंपरा का निर्माण आज भी गवली समाज द्वारा विधि-विधान से निभाया जा रहा है। गोवर्धन पूजा के बाद गवली समाज के युवाओं ने समाज के दूध मुंह बच्चों को गोवर्धन में लेटाकर गोवर्धन महाराज का आशीर्वाद दिलवाया. इसके पश्चात सभी ग्वालवंशियों ने समाज के वरिष्ठजन एवं माताओ के पैर छूकर आशीर्वाद लिया।
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