बठिंडा. भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने किसानों की मांगों को पूरा करने के लिए कुछ नहीं करने का आरोप लगाते हुए संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने किसानों के संघर्ष को मजबूत करने और 2024 के चुनाव तक लड़ाई लड़ने का फैसला किया है।
गौरतलब है कि किसान जत्थेबंदी ने 26 मई को देशभर के सांसदों की रिहायशों/कार्यालयों पर धरना देने और निर्वाचित प्रतिनिधियों को मांग पत्र सौंपने का ऐलान किया है।
उन्होंने कहा कि मई 2024 तक की कार्ययोजना के बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। गौरतलब है कि किसान जत्थेबंदी ने 26 मई को देशभर के सांसदों की रिहायशों/कार्यालयों पर धरना देने और निर्वाचित प्रतिनिधियों को मांग पत्र सौंपने का ऐलान किया है। इसके अलावा जून और जुलाई के महीने में विभिन्न राज्यों में रैलियां और सम्मेलन भी आयोजित किए जाएंगे।
इसके साथ ही 1 से 15 अगस्त तक केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के साथ-साथ राज्यों में भी विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। एक सितंबर को देशव्यापी मार्च (राष्ट्रीय यात्रा) भी निकाला जाएगा।
इसने विभिन्न राज्यों को कवर किया, खासकर उन राज्यों को जहां इन महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं। कहा जा रहा है कि राजस्थान और तेलंगाना में और प्रयास किए जाएंगे। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किसानों के नरसंहार की दूसरी बरसी 3 अक्तूबर को मनाई जाएगी।
इसके साथ ही 26 अक्तूबर को विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ संघर्ष की तीसरी वर्षगांठ के अवसर पर तीन दिवसीय कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता जोगिंदर सिंह उगराहां व दर्शन पाल ने कहा कि क्षेत्रीय दलों की आवाज को दबाने के लिए किसानों के कंधों पर भाजपा को टक्कर देने बड़ी जिम्मेदारी है।
इस बीच उन्होंने कहा कि 2024 तक जहां भी विधानसभा चुनाव होंगे, संयुक्त किसान मोर्चा बीजेपी के खिलाफ मैदान तैयार करने की कोशिश करेगा। बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से रविवार को बैठक हुई थी, जिसमें नवंबर तक की कार्ययोजना तैयार की गई। जानकारी के मुताबिक इस दौरान एस.के.एम. छोड़कर आए किसानों सहित अन्य कई संगठनों को धरने में शामिल करने की कोशिश की जाएगी। संगठन ने कहा कि जो लोग संयुक्त किसान मोर्चा में फिर से शामिल होना चाहते हैं, उन्हें सीधे राजनीतिक गतिविधियों से दूर रहने और एस.के.एम. के संविधान को स्वीकार करने के लिए कहा जाएगा।
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