पुरषोत्तम पात्र गरियाबंद। जिले के देवभोग विकासखंड में पिछले 15 दिनों में 22 गांव के तीन सौ से भी ज्यादा मवेशियों में अज्ञात रोग फैला हुआ है. जिससे मवेशियों की हालत गंभीर बनीं हुई है. पशु चिकित्सक भी बीमारी का पता अभी तक नहीं लगा पाए हैं. ग्रामीण मवेशियों में फैल रहे रोग से परेशान है. वहीं पशु चिकित्सा विभाग ने सीरम व ब्लड के 22 सेम्पल जांच के लिए रायपुर पशु रोग अनुसंधान केंद्र भेजे हैं.

इलाके के मवेशियों में इन दिनों अज्ञात रोग का प्रकोप देखा जा रहा है, इस रोग के पहले मवेशियों में सूजन के लक्षण देखे गए. फिर दो दिनों के भीतर ही पककर गहरा घाव देखा गया. इस घाव के होते ही मवेशी की दिनचर्या बदल जाती है. चारा चरने की मात्रा पूरी तरह से कम हो जाती है. देखते ही देखते मवेशी का वजन 4 से 5 दिनों में 8 से 12 किलो घट रहा है.

स्थानीय सहायक चिकित्सा अधिकारी भीष्म साहनी ने बताया कि ओड़िसा सीमा से लगे ग्राम खूटगाव, गोहरापदर में इस बीमारी के लक्षण पहले दिखे हैं. 18 नबम्बर को जब इसकी सूचना मिली तब तक गोहेकेला,मूंगझर,करचिया समेत अन्य सीमावर्ती 8 गांव तक यह फैल चुका था. प्रभावित गांव में जाकर प्राथमिक उपचार किया गया. रोग नया था, इसलिए इसकी सूचना जिला चिकित्सालय में दी गी है.  

वहीं डॉक्टर देवेश जोशी के नेतृत्व 22 व 23 नवंबर को दो दिनों तक देवभोग में शिविर लगाया गया. साथ ही 8 से 10 गांव में जाकर जांच भी की गई.

डॉक्टर देवेश जोशी ने बताया कि यह रोग प्रदेश में पहली बार देखा गया है. उच्चाधिकारियों से सम्पर्क करने पर पता चला कि ऐसा रोज ओड़िसा में होता है. चूंकि यह मख्खी व मच्छर के जरिये फैलता है. इसलिए संभावना जाहिर की जा रही है कि यह ओड़िसा से यहां पहुंचा होगा. डॉक्टर के मुताबिक लंपी स्किन डिसीज के संक्रमित रोग के श्रेणी का होने का अनुमान है. इसलिए 6 शीरम व 12 ब्लड सेम्पल रयपुर स्थित जिला पशु रोग अनुसंदान केंद्र जांच के लिए भेजा गया है. रोग न फैल सके इसलिए प्रभावित 22 गांवों में मख्खी व मच्छर मारने 40 बोतल दवा का छिड़काव पशु विभाग ने कराया है.

पशु विभाग के मुताबिक 30 से 40 मवेशियों में यह रोग देखा गया है. इन्हें एंटीबायोटिक के अलावा अन्य जरूरी दवा दी जा रही है. रिपोर्ट में रोग की पुष्टि होते ही आवश्यक दवा दी जाएगी.

चिकित्सको ने कहा कि इस रोग में जान का खतरा नहीं होता पर, मवेशी कमजोर हो जाते हैं सबसे जरूरी होता है कि इसके संक्रमण को रोका जाए. हर दिन एक से दो गाव तक फैल रहा है.

अब तक 22 गांव के 300 से ज्यादा मवेशी हो चुके है रोगी- शूरूवात खूटगाव व गोहरापदर से हुई, विभाग को 15 नवम्बर को सूचना मिलते तक रोग 12 से 15 गावो तक फैल चुका था. आज की स्थिति में गिरशूल,सिनापाली, कैठपदर,के अलावा मैनपुर ब्लॉक उरमाल ,मटिया,धोबनमाल मिलाकर 22 गाव के 300 मवेशी अनजान रोग के चपेट में आ चुका है.