रवि गोयल, सक्ती। सक्ती जिले में लाल ईंट का काला कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है. खनिज विभाग की नाकामी की वजह से कारोबारी नदी तक को नहीं बख्श रहे हैं. पहले केवल नदी से रेत निकाला करते थे, अब नदी किनारे की मिट्टी की खुदाई कर जन-जीवन के साथ-साथ पर्यावरण के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं. इसे भी पढ़ें : ग्रामीणों में गजराज की दहशत : किसी का आशियाना उजाड़ा, किसी की फसल को किया बर्बाद, सचेत रहने रिहायशी इलाकों में भी कराई जा रही मुनादी

बता दें कि जिले की सिरली, हरदी और मंद्राघोड़ी क्षेत्र में दर्जन भर से ज्यादा ईंट भट्टे संचालित हो रहे हैं, जहां हर साल करीबन 50 लाख से ज्यादा ईंट बनाई जाती है. एक तरफ जहां इन अवैध ईंट भट्टों से पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है, वहीं इससे शासन को भी भारी-भरकम नुकसान उठाना पड़ रहा है.

इन ईंट भट्टा संचालकों ने नदी को नुकसान पहुंचाने के साथ करोड़ों रुपए की लागत से बने पुल को भी भारी-भरकम वाहनों के परिवहन से क्षतिग्रस्त कर दिया है.

सक्ती के खनि अधिकारी केके बंजारे ने बताया कि जिले में केवल 2 चिमनी ईंट भट्टे को लाइसेंस जारी किया गया है, जिसमें एक सक्ती और एक जैजैपुर में है. इसके अलावा जिले में संचालित तमाम ईंट भट्टे अवैध हैं. बंगला ईंट भट्टे के लिए लाइसेंस नहीं दिया जा रहा. निरीक्षण कर कार्रवाई की जाएगी.