लखनऊ। अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की नई रिपोर्ट पर सियासत लगातार जारी है। हिंडनबर्ग के दावे को लेकर विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर है। इस कड़ी में बसपा सुप्रीमो मयावती ने सरकार पर तंज कसा हैं। उन्होंने कहा कि साख और विश्वनीयता बनाने की जिम्मेदारी सरकार की है। इसके साथ ही मायवती ने इस मामले में उच्च स्तरीय जांच की बात भी कही है।

बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने अपनो सोशल मीडिया अकाउंट पर दो अलग अलग पोस्ट किए हैं। जिसमें उन्होंने लिखा- पहले अदाणी ग्रुप व अब सेबी चीफ सम्बंधी हिण्डनबर्ग की रिपोर्ट फिर से जबरदस्त चर्चाओं में है तथा आरोप-प्रत्यारोप का दौर इस हद तक जारी है कि इसे देशहित को प्रभावित करने वाला बताया जा रहा है। अदाणी व सेबी द्वारा सफाई देने के बावजूद मुद्दा थमने का नाम नहीं ले रहा बल्कि उबाल पर है। वहीं एक अन्य पोस्ट पर लिखा- वैसे यह मुद्दा अब सत्ता व विपक्ष के वाद-विवाद से परे केन्द्र की अपनी साख व विश्वसनीयता को भी प्रभावित कर रहा है, जबकि केन्द्र सरकार को अब तक इसकी उच्च-स्तरीय जाँच अर्थात् जेपीसी या जुडिशियल जाँच जरूर बैठा देनी चाहिये थी तो यह बेहतर होता।

आपको बता दें कि इससे पहले भी विपक्ष के बड़े नेता भाजपा अडानी और अब सेबी प्रमुख के संबंधों को लेकर बयान दे चुके हैं। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद विपक्षी दलों ने सेबी प्रमुख के इस्तीफे की मांग शुरू कर दी है। वहीं सेबी प्रमुख और अदाणी समूह ने इस मामले में अपना पक्ष रख दिया है। इसके अलावा बीजेपी ने भी हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं। पूर्व कानून मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस, विपक्षी गठबंधन के लोग और हिंडनबर्ग को प्रमोट करने वाले टूल किट के लोग भारत को आर्थिक रूप से अस्थिर करने के षड्यंत्र में जुटे हैं।

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हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में आखिर क्या है ?

10 अगस्त को हिंडनबर्ग ने सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच और अदाणी ग्रुप के संबंध में 46 पन्नों की एक डोजियर जारी किया है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सेबी की चेयरपर्सन बुच और उनके पति धबल बुच ने बरमूडा और मॉरीशस में अस्पष्ट विदेशी मदो में निवेश किया था। फर्म ने कहा कि ये वही कोष हैं जिनका कथित तौर पर विनोद अदाणी ने पैसों की हेराफेरी करने और समूह की कंपनियों के शेयरों की कीमतें बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया था। आपको बता दे कि विनोद अदाणी, अदाणी समूह के चेयरपर्सन गौतम अदाणी के बड़े भाई हैं।

अमेरिकी कंपनी ने आगे कहा कि सेबी को अदाणी मामले से संबंधित फंडों की जांच करने का जिम्मा सौंपा गया था, जिसमें बुच द्वारा भी निवेश किया गया था। यही पूरी जानकारी हमारी रिपोर्ट में उजागर की गई है। हालांकि अदाणी समूह ने भी इस रिपोर्ट पर 11 अगस्त को बयान जारी किया। उसका कहना है कि हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए नए आरोप कंपनी को दुष्प्रचारित करने के लिए है। इस साल जनवरी में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पहले ही इन आरोपों को खारिज कर दिया गया है।’

आइए जानते है कि किन रिपोर्ट्स को लेकर सुर्खियों में रहा हिंडनबर्ग ?

सेबी के बुच दंपती और अदाणी समूह कोई पहला नहीं है जिसपर अमेरिकी फर्म ने रिपोर्ट जारी की है। इससे पहले इसने अमेरिका, कनाडा और चीन की कई ज्यादा कंपनियों को लेकर अलग अलग रिपोर्ट प्रकाशित की है। जिसके बाद काफी घमासान मचा। ज्यादातर कंपनियां अमेरिका की ही थीं, जिनपर अलग-अलग आरोप लगे।

गौरतलब है कि हिंडनबर्ग रिसर्च वित्तीय शोध करने वाली कंपनी है, जिसकी स्थापना 2017 में की गई थी। इसे कॉर्पोरेट जगत की गतिविधियों के बारे में खुलासा करने के लिए जाना जाता है। हालांकि, अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग की खुद की विश्वसनीयता को लेकर भी सवाल खड़े होते रहे हैं। लेकिन हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद से भारत मे महत्वपूर्ण औद्योगिक संस्थान अडानी और सेबी प्रमुख को लेकर चर्चा का बाजार गर्म है।