जौनपुर। लंबे समय से जिले में वाराणसी-लखनऊ राजमार्ग के फोरलेन का निर्माण चल रहा है. इसके लिए सभी स्थानों पर जिला प्रशासन ने भूमि अधिग्रहण कर निर्माण करा दिया है, वहीं सदर तहसील क्षेत्र के सटे हौज गांव में भुगतान को लेकर पेंच फंसा हुआ था. इसको लेकर पिछले तीन वर्ष निर्माण बाधित रहा.

ऐसे में जिला प्रशासन ने मामले की जांच कर भूमि पर फर्जी तरीके से नाम दर्ज कराने वाले सात भू-माफियाओं पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है. इससे साढ़े छह करोड़ का घोटाला होने से बच गया है.

जालसाजों की तरफ से किसानों से जमीन को अपना बताकर इतनी धनराशि का भुगतान अपने नाम कराने का प्रयास किया गया था. प्रशासन के इस फैसले से 50 काश्तकारों को चेहरे पर खुशी देखी जा रही है. अब मूल काश्तकारों का सत्यापन कर उनको भूमि अधिर्ग्रहण की धनराशि का भुगतान कराया जाएगा. हौज गांव में परियोजना में प्रभावित 50 काश्तकारों की कुल क्षतिपूर्ति छह करोड़ 53 लाख दो हजार 491 रुपये है. भू-माफियाओं की तरफ से अवैधानिक ढंग से भूमि को हड़प कर शासकीय धन को हड़पने की साजिश कर भुगतान के लिए पत्रावलियां प्रस्तुत की गई. वहीं सरकारी भूमि पर फर्जी तरीके से नाम चढ़वाकर करीब पौने दो करोड़ के भुगतान की आपत्ति की थी.

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अधिकारियों के गहन जांच में पाया गया कि सरकारी भूमि हड़पने के मामले में 1994 में सीबीसीआइडी की जांच भी हो चुकी है. जांच के बाद फैसला सुनाया गया कि भू-माफियाओं की तरफ से भूमि को अपना बताकर आपत्ति लगाते हुए भुगतान की मांग फर्जी अभिलेख, कपटपूर्ण, धोखाधड़ी पर आधारित है. इसमें आवेदन को सरकारी धन हड़पने की साजिश का हिस्सा होने के कारण निरस्त कर दिया गया. अब मूल काश्तकारों के भुगतान के लिए एसडीएम सदर, बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी, सहायक चकबंदी अधिकारी हौज नामित किया गया है. इनकी तरफ से यह जांच की जाएगी इसमें से कितने काश्तकार जीवित व मृत है.

50 किसानों व काश्तकारों का हड़पा जा रहा था हक 

अपर जिलाधिकारी भू-राजस्व राजकुमार द्विवेदी ने बताया कि फोरलेन निर्माण को लेकर हौज गांव में बाधा आ रही थी, हालांकि मिट्टी का कार्य कराया जा रहा है. भूमि अधिग्रहण में किसानों के भुगतान के मामले को करीब पांच माह तक सुनवाई व जांच के बाद हल किया गया. इसमें सात भू-माफियाओं की तरफ से भूमि पर फर्जी तरीके से अपना बताकर भुगतान के लिए आपत्ति की गई थी. जिससे 50 किसानों व काश्तकारों का हक हड़पा जा रहा था. जब भी मौके पर लोग काम करने जाते थे वह मूल किसान भूमि पर लेट जाते थे. फर्जी तरीके से आपत्ति करने वाले के आवेदन को निरस्त करते हुए उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर आगे की कार्रवाई करने का आदेश दिया गया है.