सचिन तिवारी, लखनऊ. यूपी पुलिस मोरल पुलिसिंग के तमाम दावे और वादे करती हुई नजर आती है. लेकिन अगर बात करें जमीनी हकीकत की तो जमीनी हकीकत कुछ और ही है. जी हां हम बात कर रहे हैं राजधानी लखनऊ के एक गांव की जो कि पुलिस की सरपरस्ति में तालिबान में तब्दील हो चुका है. पूर्व प्रधान के आतंक से ग्रामीण रोजाना डर के साए में जीने को मजबूर हैं और हों भी क्यों ने थानाध्यक्ष से लेकर चौकी प्रभारी और पूरा सरकारी तंत्र पूर्व प्रधान चक्रवीर सिंह के दहरी पर नाक रगड़ता हुआ नजर आता है. सीएम योगी आदित्यनाथ लगातार माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए नजर आ रहे हैं. योगी आदित्यनाथ ने साफ लफ्जों में कहा है कि दबंग और माफिया प्रकृति के लोगों के लिए उत्तर प्रदेश नर्क में तब्दील हो चुका है. लेकिन पूर्व प्रधान की दबंगई और आतंक से पूरा गांव दहशत में है और हो भी क्यों न पूर्व प्रधान अपने आप को केंद्रीय राज्यमंत्री कौशल किशोर का प्रतिनिधि बताते हैं.

लखनऊ का डांडा सिकंदरपुर गांव के ग्रामीण इन दिनों दहशत में जीने को मजबूर हैं. क्योंकि केंद्रीय राज्यमंत्री कौशल किशोर का तथाकथित प्रतिनिधि ग्रामीणों को कौशल किशोर के नाम पर धौंस देता हुआ नजर आता है. आलम ये है कि गांव की तमाम महिलाएं दहशत में हैं. क्योंकि कब किसी का भाई, किसी का बेटा, किसी का पति पूर्व प्रधान के आतंक का शिकार हो जाए फिर तो भगवान ही मालिक है. आलम ये है पूर्व प्रधान चक्रवीर सिंह प्रधानी का चुनाव हारने के बाद से काफी बौखलाया हुआ है और अपनी हार का बदला वो ग्रामीणों को प्रताड़ित करके लेता हुआ नजर आ रहा है.

ग्रामीणों के मुताबिक पूर्व प्रधान चक्रवीर सिंह ने असमाजिक गतिविधियों के तहत लाखों करोड़ों की संपत्ति अर्जित की है और इसी संपत्ति के बल पर वो चौकी प्रभारी और थानाध्यक्षों को खरीद चुका है. यहीं कारण है कि जब फरियादी अपनी फरियाद लेकर थाना या चौकी जाता है. तो मोहनलालगंज इंस्पेक्टर दीनानाथ मिश्रा फरियादी को ही थाने पर बैठा लेते हैं. फरियादियों में महिलाएं भी होती हैं. उनसे भी दीनानाथ मिश्रा द्वारा अभद्रता की जाती है. गंदी-गंदी गलियां दी जाती हैं. ग्रामीण महिलाओं ने आरोप लगाया कि पूर्व प्रधान के गुर्गे उनके परिवारजनों को परेशान करते हैं और जब वो पुलिस के पास जाती हैं तो उनको भद्दी-भद्दी गालियां सुनने को मिलती हैं.

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कहते हैं कि गरीबों के लिए न्याय काफी महंगा पड़ जाता है और इसकी साफ तस्वीर देखने को मिलती है लखनऊ के डांडा सिकंदरपुर गांव में जहां सुबह पूर्व प्रधान ग्रामीणों को धमकाता है और रात होते होते पुलिस धमकाती है. क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी पुलिस और माफियाओं का नेक्सस नजर आता है और भुगतना मासूम ग्रामीणों को पड़ता है. हम जब इस खबर की कवरेज के लिए मौके पर पहुंचे तो लोगों के चेहरों पर परेशानी साफ नजर आ रही थी. एक नहीं दो नहीं तीन नहीं बल्कि इस गांव के तमाम परिवारों की महिलाएं मीडिया से रूबरू होकर हमसे अपना दर्द बांट रहीं थी. किसी ने बताया कि पूर्व प्रधान के इशारे पर उनके पति को पुलिस उठा कर ले गई है. तो किसी ने बताया कि उनके जमीनों पर पूर्व प्रधान जबरन कब्जा कर रहा है.

किसी ने बताया कि पूर्व प्रधान के गुर्गे नशे की हालत में महिलओं से सरेआम अभद्रता करते हैं और पुलिस सिर्फ और सिर्फ नपुंसकों की तरह तमाशा देखती हुई नजर आती है. केंद्रीय राज्य मंत्री कौशल किशोर लगातार समाज के लिए समर्पित रहते हैं. लेकिन शायद उनको पता भी नहीं होगा कि उनकी छवि को धूमिल करने का काम किया जा रहा है. उनके नाम पर पूर्व प्रधान ग्रामीणों को धमकाता है. चौकी से लेकर थाने तक पूर्व प्रधान का रसूख हैं. जिस पुलिस पर आम जनता की रक्षा करने की जिम्मेदारी है. वो भी भक्षक का काम करती हुई नजर आ रही है. फरियादियों की पीड़ा सुनने के बजाए उनको थाने पर इंस्पेक्टर दीनानाथ मिश्रा बैठा लेते हैं और सिर्फ बैठाते ही नहीं खातिरदारी के नाम पर फरियादियों को पुलिस मारती पीटती भी है.

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इस पूरे मामले को लेकर ग्रामीणों ने तमाम अधिकारियों से शिकायत भी की लेकिन पूर्व प्रधान चक्रवीर सिंह के रसूख के आगे योगी सरकार का पूरा सिस्टम नकमस्कत नजर आ रहा है. आलम ये हैं कि ये ग्रामीण आतंक और दहशत के साए में जीने को मजबूर हैं और अगर जल्द से जल्द आरोपियों और पुलिस महकमें के भ्रष्ट कर्मचारियों पर कार्रवाई नहीं हुई. तो ग्रामीणों के लिए दिन पर दिन स्थितियां काफी बिगड़ जाएंगी. और इसकी जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ योगी सरकार और यूपी पुलिस होगी.

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