अंबेडकरनगर. वैसे तो भाजपा सरकार खुद को किसान हितैषी के रूप में प्रोजेक्ट करती है. भाजपा सरकार किसानों की आय दोगुना करने का भी दावा करती है. बावजूद किसान खाद की किल्लत से गुजर रहे हैं. सरकार आकड़ें पेश कर खाद की किल्लत न होने का दावा कर रही है. आलम ये है कि किसान खाद को लेकर दर-दर भटकते नजर आ रहे हैं. स्थिति इतनी विकराल है कि खाद के संकट को लेकर किसान सड़कों पर उतर गए और जमकर हंगामा करते हुए हाइवे जाम कर दिया. ये पहला मामला नहीं है, इसके पहले तो खाद को लेकर यूपी सरकार की पुलिस ने कई जगहों पर किसानों पर लाठियां तक भांजी है. जिसके कई वीडियो सामने भी आए हैं. ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि भाजपा सरकार में किसानों की ऐसी दुर्दशा का जिम्मेदार कौन है? भाजपा राज में अन्नदाताओं के अच्छे दिन कब आएंगे?

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बता दें कि पूरा मामला महरुआ बहुउद्देशीय सघन सहकारी समिति केंद्र का है. जहां किसान लंबी लाइनें लगाकर खाद लेने के लिए खड़े थे. जिसके बाद उन्हें जानकारी दी गई कि रविवार को खाद का वितरण नहीं किया जाएगा. जिसके बाद किसानों का गुस्सा फूट पड़ा. गुस्साए किसानों ने सुल्तानपुर-अंबेडकरनगर राष्ट्रीय राजमार्ग में जाम लगा दिया. इस दौरान किसानों ने जमकर हंगामा किया. मामले की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची. जिसके बाद पुलिस ने किसानों से बातचीत की और खाद वितरण का आश्वासन देकर 1 घंटे बाद जाम खुलवाया.

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वहीं खाद की किल्लत को लेकर किसानों का कहना है कि पूरे दिन लाइन में खड़े होने के बाद एक बोरी यूरिया दी जा रही है. जोकि पर्याप्त नहीं है. आम किसानों को केवल एक बोरी और समिति के कुछ सदस्यों को 15-20 यूरिया वितरित किया गया है. किसानों के गुस्से को देखते हुए पुलिस ने सचिव से संपर्क कर यूरिया वितरित करवाया. हालांकि, किसान यूरिया कम मिलने को लेकर असंतोष नजर आए.