बरेली। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात (All India Muslim Jamaat) ने ‘पैगम्बर ए इस्लाम बिल’ लागू की मांग की है। एआईएमजे (AIMJ) का कहना है कि अक्सर कोई न कोई व्यक्ति पैगम्‍बरे इस्लाम की शान में गुस्ताखी करता है, लेकिन सभी लोग खामोश होकर तमाशाई बने रहते हैं। कोई कार्रवाई नहीं होती, इसलिए संसद या विधानसभाओं में ‘पैगम्बर ए इस्लाम बिल’ लाया जाए, ताकि कोई व्यक्ति उनकी शान में गुस्ताखी न कर सके।

क्यों उठी मांग ?

दरअसल, यूपी के बरेली में आला हजरत के 106वें उर्से रजवी के पहले दिन ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के हेड ऑफिस में एक बैठक की गई। इस मीटिंग में देश के कई राज्यों के उलमा और बुद्धिजिवी शामिल हुए। जहां मुसलमानों के मुद्दों पर चर्चा की गई। वहीं बैठक में एक ‘मुस्लिम एजेंडा’ तैयार किया गया है। इस्लाम धर्म के संस्थापक पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ ईशनिंदा करने वाले लोगों को कठोर सजा देने के लिए ‘पैगंबर मोहम्मद बिल’ नाम से कानून बनाया जाए। मुस्लिम संगठनों का कहना है कि इस कानून से अन्य सभी धर्मों के प्रमुखों और हस्तियों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों पर रोक लगेगी।

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मौलाना शहाबुद्दीन बरेलवी ने कहा कि हमारी मांग है कि पवित्र पैगंबर साहब का अपमान और ईशनिंदा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए एक कठोर कानून बनाया जाए। यह कानून किसी भी धर्म के प्रमुखों और देवी-देवताओं के अपमान पर कार्रवाई करने वाला हो। इस तरह का अपराध करने वालों के खिलाफ जो मौजूदा कानून हैं वे अपर्याप्त और कमजोर हैं, इसलिए सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं होती हैं।

मुसलमानों को किया जा रहा परेशान, नहीं मिल रहा योजना का फायदा

मौलाना शहाबुद्दीन ने कहा कि लव-जिहाद, धर्मांतरण, टेरर फंडिंग, आतंकवाद और मॉब-लिंचिंग के नाम पर मुसलमानों को डराया और परेशान किया जा रहा है। इस पर रोक लगाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों के उत्थान के लिए बनाई गई स्कीमों का फायदा मुसलमानों को नहीं मिल पा रहा है, इसकी व्यवस्था में बदलाव किया जाना चाहिए। केंद्र और राज्य सरकारों को संबोध‍ित करते हुए कहा क‍ि देश की एकता और अखंडता के लिए मुसलमान कंधे से कंधा मिलाकर काम करने के लिए तैयार हैं।

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राजनीतिक पार्टियों को दी हिदायत

वहीं राजनीतिक पार्टियों को हिदायत देते हुए मौलाना शहाबुद्दीन ने कहा कि मुसलमान किसी एक सियासी पार्टी का गुलाम नहीं है, इसलिए राजनीतिक पार्टियों और उनके नेताओं को मुसलमानों को बंधुआ मजदूर न समझें। राजनीतिक पार्टियां अपनी जरूरत के समय और वोट लेने के लिए मुसलमानों का इस्तेमाल करती हैं, लेकिन सरकार बनाने के बाद उन्हें भूल जाती हैं, इसलिए उन्हें अपने काम करने के तरीकों में बदलाव लाना होगा।