आलोक वर्मा, लखनऊ. कोरोना का ताप घटते ही यूपी में बीजेपी चुनावी मोड में आ गई दिखती है. योगी की दिल्ली में मुलाकातें पहले सत्ता परिवर्तन के तौर पर देखी जा रही थीं, लेकिन अब इसे 2022 में जीत की कवायद के तौर पर लिया जा रहा है.

जितिन प्रसाद का भाजपा में आना, अनुप्रिया पटेल की योगी-शाह से मुलाकातें, ओपी राजभर से एक बार फिर दुआ-सलाम की खबरें दरअसल भाजपा की जीत की बुनावट ही है.बृहस्पतिवार को जब अचानक यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दिल्ली की तरफ उड़ लिए तो इसे यूपी में सत्ता परिवर्तन के अंतिम घात-प्रतिघात के तौर पर देखा जाने लगा. पता चला कि दिल्ली में योगी को शाह-नड्डा-मोदी से मिलना है, तो मान लिया गया कि कुछ न कुछ जरूर होना है. लेकिन जब इस मुलाकात में अपना दल-एस की नेता अनुप्रिया पटेल भी शामिल हो गईं और बाद में जितिन प्रसाद भी योगी से मिलने पहुंच गए तो संकेत नजर आए कि मामला दरअसल सत्ता परिवर्तन का नहीं, 2022 में फिर से सिंहासन पर विराजने का है.

शुक्रवार को योगी-मोदी-नड्डा मुलाकातों के बीच बिसरा दिए गए यूपी नेताओं के खेमों में भी सियासी गर्मी बढ़ी हुई थी. पता चला कि कभी बेआबरू होकर मंत्रिमंडल से निकले सुभासपा नेता ओम प्रकाश राजभर से भी भाजपा पेंगे बढ़ा रही है. हालांकि इस चर्चा पर राजभर की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया आई, लेकिन कहा जा रहा है कि यह अपनी कीमत बढ़ाने भर की कोशिश है. वहीं सियासी गलियारों में चर्चा है कि जितिन प्रसाद को भी विधान परिषद में लाकर मंत्री बनाया जा सकता है. मोदी के करीबी, पूर्व आईएएस, एके राय की किस्मत भी कहा जा रहा है. इस बार दगा नहीं देगी और उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा.

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उधर, अपना दल-सोनेलाल की मुखिया अनुप्रिया पटेल के खेमे से भी संकेत आ रहे हैं कि उनका मन चाहा होने जा रहा है. साफ है कि भाजपा यूपी में बंगाल से भी ज्यादा आक्रमक रणनीति के साथ चुनावी युद्ध में जायेगी. यानी देश के लोगों को अभी ढेरों चौंकाने वाली खबरें यूपी से मिलने वाली हैं.

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