लखनऊ. उत्तर प्रदेश के गोरखपुर स्थित चिल्लूपार विधानसभा सीट से बसपा विधायक विनय शंकर तिवारी और उनके बड़े भाई व पूर्व सासंद कुशल तिवारी और विधानपरिषद के सभापति गणेश शंकर पांडेय को बसपा ने पार्टी से निकाल दिया है. इन तीनों को अनुशासनहीनता के चलते पार्टी से निकाला गया है. विनय शंकर तिवारी के सपा में जाने की अटकलों के बीच यह कार्रवाई की गई है.
बसपा के मुख्य सेक्टर प्रभारी गोरखपुर मंडल सुधीर कुमारी भारती की तरफ से जारी निष्कासन पत्र में तीनों भाइयों पर अनुशासनहीनता का आरोप लगाया गया है. सुधीर भारती ने बताया कि विगत कुछ दिनों से यह लोग पार्टी के किसी कार्यक्रम में न तो रुचि ले रहे थे न ही सम्मिलित हुए. ज्ञात हो कि तिवारी परिवार का नया सियासी दांव क्या होगा, इसको लेकर चर्चा तेज हो गई है. यह परिवार तकरीबन डेढ़ दशक से पूर्वांचल में बसपा का झंडा थाम कर ब्राह्मण-दलित गठजोड़ को मजबूत कर रहा था.
पूर्व कैबिनेट मंत्री हरिशंकर तिवारी के छोटे बेटे विनय शंकर तिवारी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में मोदी-योगी की प्रचंड लहर के बावजूद गोरखपुर की चिल्लूपार सीट पर भाजपा प्रत्याशी राजेश त्रिपाठी को हराकर बसपा को जीत दिलाई थी. वह जिले के इकलौते गैर भाजपाई विधायक हैं. इसके पहले वह 2012 के विधानसभा चुनाव में बांसी से, 2009 के लोकसभा चुनाव में गोरखपुर और 2008 के उपचुनाव में बलिया से भी चुनाव लड़ चुके हैं.
गोरखपुर और महाराजगंज से चार बार विधान परिषद सदस्य रह चुके गणेश शंकर पांडेय 2010 में विधान परिषद के सभापति चुने गए. पिछले दिनों हुए पंचायत चुनाव में उनकी बहू महराजगंज के लक्ष्मीपुर से ब्लाक प्रमुख चुनी गई हैं. विनय शंकर के बड़े भाई भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी बसपा के टिकट पर ही दो बार सांसद रह चुके हैं. एक बार 2007 के उप चुनाव जबकि दूसरी बार 2009 के लोकसभा चुनाव में खलीलाबाद लोकसभा सीट से वह सांसद रहे हैं.