लखनऊ। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने यूपी सरकार के जाति को लेकर जारी शासनादेश पर सवाले खड़ा किया है। जिसमें जिसमें जाति का उल्लेख नाम, नेम प्लेट, एफआईआर और अन्य दस्तावेजों से हटाने का आदेश जारी किया गया है। अखिलेश का कहना है कि किसी पर झूठे और अपमानजनक आरोप लगाकर बदनाम करने के जातिगत भेदभाव से भरी साज़िशों को समाप्त करने के लिए क्या किया जाएगा?

मानसिकता को खत्म करने के लिए क्या किया जाएगा?

अखिलेश यादव ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा कि …और 5000 सालों से मन में बसे जातिगत भेदभाव को दूर करने के लिए क्या किया जाएगा? और वस्त्र, वेशभूषा और प्रतीक चिन्हों के माध्यम से जाति-प्रदर्शन से उपजे जातिगत भेदभाव को मिटाने के लिए क्या किया जाएगा? और किसी के मिलने पर नाम से पहले ‘जाति’ पूछने की जातिगत भेदभाव की मानसिकता को ख़त्म करने के लिए क्या किया जाएगा?

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साज़िशों को समाप्त करने के लिए क्या किया जाएगा?

अखिलेश यादव ने आगे लिखा कि और किसी का घर धुलवाने की जातिगत भेदभाव की सोच का अंत करने के लिए क्या उपाय किया जाएगा? और किसी पर झूठे और अपमानजनक आरोप लगाकर बदनाम करने के जातिगत भेदभाव से भरी साज़िशों को समाप्त करने के लिए क्या किया जाएगा?

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आपको बताते चले कि मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी आदेश के अनुसार अब पहचान के लिए माता-पिता के नाम का उपयोग किया जाएगा। वहीं, पुलिस रिकॉर्ड्स, थानों के नोटिस बोर्ड, वाहनों और साइनबोर्ड्स से जातीय संकेत हटाए जाएंगे। इस फैसले को सरकार ने जातिगत भेदभाव खत्म करने की दिशा में बड़ा कदम बताया है।