लखनऊ. 1996 के बैच के पीसीएस अधिकारियों की IPS बनने की ख्वाहिश अधूरी रह गई है. इस बैच के कई अधिकारी 8 साल पहले आईएएस बन चुके हैं, जबकि उनके समकक्ष 24 पीसीएस अभी भी आईपीएस बनने की प्रतीक्षा कर रहे हैं. हाल के वर्षों में 30 पीसीएस अधिकारी बिना आईपीएस बने रिटायर हो चुके हैं और वर्तमान में 26 अधिकारी इस सपने को साकार नहीं कर पाएंगे.
पीसीएस अधिकारियों के साथ हो रहे इस सौतेले व्यवहार का मुख्य कारण पदोन्नति में देरी है. बताया जा रहा है कि कुछ अधिकारियों को आईपीएस काडर में प्रोन्नति का प्रस्ताव संघ लोक सेवा आयोग को भेजा गया है, लेकिन विभागीय प्रोन्नति समिति (डीपीसी) की बैठक अब तक नहीं हुई है. इससे न केवल उनकी पदोन्नति प्रभावित हो रही है, बल्कि उनके वेतन में भी कमी आ रही है.
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पीसीएस अधिकारियों ने अपनी समस्याओं को लेकर कई बार उच्च अधिकारियों से गुहार लगाई है, लेकिन उनके मामलों पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया है. आईपीएस रेणुका मिश्रा की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने काडर रिव्यू के लिए सुझाव दिए थे, लेकिन उन सुझावों को अब तक लागू नहीं किया गया है.
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प्रदेश में आईपीएस काडर के 33 प्रतिशत पद पीसीएस को प्रदोन्नति देकर भरे जाते हैं. 56 वर्ष से अधिक उम्र वाले पीसीएस अधिकारियों का नाम प्रस्तावित नहीं किया जाता. आईपीएस काडर का रिव्यू समय पर हो जाता है, जबकि पीसीएस के मामलों में लगातार देरी हो रही है. वर्ष 2019 में प्रस्तावित काडर रिव्यू तीन साल की देरी से 2022 में हुआ था और अब 2024 में अगला रिव्यू होना है, लेकिन इसकी संभावना भी कम नजर आ रही है.
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