लखनऊ. किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में जल्द ही एक जेनेटिक डायग्नोस्टिक यूनिट होगी जो शिशुओं में आनुवंशिक विकारों का जल्द पता लगाने में मदद करेगी. विश्वविद्यालय के क्वीन मैरी अस्पताल (क्यूएमएच) में स्थापित होने वाली इकाई में शिशुओं (अजन्मे और नवजात दोनों) का जीनोमिक परीक्षण किया जाएगा.

अधिकारियों ने कहा कि संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआईएमएस) के बाद यह राज्य की दूसरी आनुवंशिक निदान इकाई होगी. डॉक्टर यह पता लगा सकेंगे कि क्या बच्चे वंशानुगत बीमारियों से पीड़ित हैं और समस्या का पता चलते ही इलाज शुरू कर दिया जाएगा. साथ ही, अजन्मे बच्चों के मामले में, माता-पिता यह तय करने में सक्षम होंगे कि गर्भावस्था को बनाए रखना है या इसे समाप्त करना है. प्रसूति और स्त्री रोग विभाग के एक संकाय सदस्य प्रो मिलि जैन ने कहा कि हमने 2019 में केंद्र सरकार को यूनिट के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत किया था. इसने विशेषज्ञ समिति के साथ-साथ प्रस्तुति चरण द्वारा जांच को मंजूरी दे दी है. हमें जल्द ही अंतिम मंजूरी मिलने की संभावना है.

उन्होंने आगे कहा कि हम बच्चों में थायराइड, थैलेसीमिया, सिकल सेल एनीमिया और लाल रक्त कोशिका आनुवंशिक विकारों की जांच करने की योजना बना रहे हैं. नवजात शिशुओं में थायराइड के मुद्दों की जांच की जाएगी, जबकि अजन्मे बच्चों का थैलेसीमिया, सिकल सेल एनीमिया के लिए परीक्षण किया जाएगा. जैन ने कहा कि अगर गर्भावस्था के तीन महीने के भीतर किसी समस्या का पता चलता है तो माता-पिता की काउंसलिंग शुरू की जा सकती है. इससे न केवल बच्चों को, बल्कि उनके माता पिता को भी मदद मिलेगी और सरकारी व्यवस्था पर दबाव भी कम होगा.