बीजेपी के पूर्व विधायक एक बार फिर अपनी ही सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन शुरू होने के 30 दिन के भीतर यदि किसान बिल वापस ले लिया होता तो 700 किसानों की जान नहीं जाती. 700 लोगों की जिंदगी और सात सौ परिवार उजड़ने के बाद यह फैसला एक तरफ खुशी तो दूसरी तरफ लेटलतीफी का है. सरकार को किसानों की सभी मांगें एमएसपी, मुकदमा वापसी, बिजली की मांग लेनी चाहिए. आंदोलन में जान गवाने वाले किसानों के परिवार को मुआवजा मिले.

 

यूपी के बलिया जिले के नगरा में भाजपा के पूर्व विधायक राम इकबाल सिंह मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री को डैमेज कंट्रोल करते हुए मृत किसानों के परिजनों को कम से कम 50 लाख रुपए मुआवजा और घर के एक सदस्य को नौकरी देनी चाहिए. अगर आश्रित शिक्षित न हो तो उसे प्रतिमाह 20 हजार मानदेय, नाबालिग हो तो उसकी पढ़ाई का खर्च, विधवा हो तो 25 हजार प्रतिमाह पेंशन देनी चाहिए.

कंगना रणौत को रासुका के तहत जेल में कर देना चाहिए बंद

राम इकबाल सिंह ने कंगना रणौत को एक मनचली महिला बताते हुए कहा कि सरकार को उसे राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत जेल में बंद कर देना चाहिए. यह किसान आंदोलन दुनिया का सबसे बड़ा आंदोलन था. जो एक जगह पर बैठकर, अहिंसा के बल पर सत्याग्रह हो रहा था. इसको समझने में सरकार को चूक हुई है. इसमें सुधार होना चाहिए.

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यूपी और बिहार में किसानों की माली हालत ठीक नहीं

उन्होंने कहा कि आज पूर्वी यूपी और बिहार में किसानों की माली हालत ठीक नहीं है. एक तो यहां जमीनों की कमी है, दूसरी यहां के आबादी का घनत्व सबसे ज्यादा है. सरकार को पूर्वी यूपी को विशेष पैकेज देना चाहिए. सरकार यदि किसानों को 25 हजार रुपए प्रति बीघा मुआवजा देती तो जो वातावरण बना हुआ है, उसमें बदलाव दिखाई देता.

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