प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को पूर्ण लाकडाउन लगाने पर विचार करने का दिया निर्देश दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि प्रभावित नगरों में राज्य सरकार को दो या तीन हफ्ते के लिए पूर्ण लाकडाउन लगाने पर विचार करना चाहिए.
हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार ट्रैकिंग, टेस्टिंग व ट्रीटमेंट योजना में तेजी लाए. खुले मैदानों में अस्थायी अस्पताल बनाकर कोरोना पीड़ितों के इलाज की व्यवस्था का भी निर्देश दिया. साथ ही कहा कि जरूरी हो तो संविदा पर स्टाफ तैनात किए जाएं. हाईकोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 19 अप्रैल को सचिव से हलफनामा मांगा है.
कोर्ट ने कहा कि सड़क पर कोई भी व्यक्ति बिना मास्क के दिखाई न दे, अन्यथा कोर्ट पुलिस के खिलाफ अवमानना कार्यवाही करेगी. कोर्ट ने कहा कि सामाजिक धार्मिक आयोजनों मे 50 आदमी से अधिक न इकट्ठा हों. कोर्ट ने कोरोना मामले को लेकर कायम जनहित याचिका पर यह आदेश दिया है.
नाइट कर्फ्यू या कोरोना कर्फ्यू संक्रमण फैलाव रोकने के छोटे कदम हैं. ये नाइट पार्टी व नवरात्रि या रमजान में धार्मिक भीड़ तक सीमित है. नदी में जब तूफान आता है तो बांध उसे रोक नहीं पाते, फिर भी हमे कोरोना संक्रमण को रोकने के प्रयास करने चाहिए. दिन मे भी गैर जरूरी यातायात को नियंत्रित किया जाए. जीवन रहेगा तो दोबारा स्वास्थ्य ले सकेंगे अर्थव्यवस्था भी दुरूस्त हो जाएगी.
कोर्ट ने कहा कि विकास व्यक्तियों के लिए है, जब आदमी ही नहीं रहेंगे तो विकास का क्या अर्थ रह जाएगा. कोरोना से अत्यधिक प्रभावित शहरो में लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी और गोरखपुर शामिल है. कोर्ट ने कहा कि संक्रमण फैले एक साल बीत रहे है लेकिन इलाज की सुविधाओं को बढ़ाया नहीं जा सका. कोर्ट ने राज्य सरकार की 11 अप्रैल की गाइडलाइंस का सभी जिला प्रशासन को कड़ाई से अमल में लाने का निर्देश दिया.
कोर्ट ने 19 अप्रैल को डीएम व सीएमओ प्रयागराज को कोर्ट में हाजिर रहने का दिया निर्देश है. कैन्टोनमेन्ट जोन को अपडेट करने और रैपिड फोर्स को चौकन्ना रहने की भी बात कही है. कोर्ट ने कहा हर 48 घंटे में जोन का सेनेटाइजेशन किया जाए. यूपी बोर्ड की आनलाइन परीक्षा दे रहे छात्रों की जांच करने पर बल दिया जाए.
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कोर्ट ने एसजीपीजीआई लखनऊ की तरह स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल में कोरोना आईसीयू बढाने व सुविधाए उपलब्ध कराने, राज्य व केन्द्र सरकार को ऐन्टी वायरल दवाओं के उत्पाद व आपूर्ति बढाने का निर्देश दिया है. जरुरी दवाओं की जमाखोरी करने या ब्लैक मार्केटिंग करने वालों पर सख्ती करने का भी निर्देश दिया है. जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजित कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश दिया है.
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