जौनपुर. AI इंजीनियर अतुल सुभाष (Atul Subhash) ने पत्नी निकिता सिंघानिया (Nikita Singhania), ससुराल वालों और जज को अपनी मौत का जिम्मेदार बताकर बेंगलुरु में आत्महत्या कर ली थी. अब इस मामले की जांच करने के लिए बेंगलुरु पुलिस (Bengaluru Police) जौनपुर पहुंच गई है. पुलिस के पहुंचने की जानकारी मिलते ही इंजीनियर के ससुरवालों को लगी तो रात के अंधेरे में घर में ताला लगाकर भाग गए. वहीं मीडिया के सवालों से बचती हुई अतुल की सास निशा सिंघानिया का वीडियो भी सामने आया है. इस दौरान वह रिपोर्टर के सामने हाथ जोड़ती नजर आई. उसके बाद अतुल का साला औऱ उसकी सास बाइक में बैठकर चली गई.
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बता दें कि AI इंजीनियर अतुल सुभाष ने डेढ घंटे का वीडियो और 40 पेज का सुसाइड नोट लिखकर जान दे दी थी. वहीं जब पुलिस उसके घर का दरवाजा तोड़कर अंदर पहुंची तो कमरे की दीवार पर लिखा था-JUSTICE IS DUE.. मतलब न्याय अभी बाकी है. अतुल सुभाष कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के मराठाहल्ली में रहता था.
5 साल पहले हुई थी शादी
अतुल सुभाष की शादी जौनपुर की निकिता से 5 साल पहले हुई थी. कुछ दिन तो सबकुछ ठीक चला, लेकिन उसके बाद निकिता उसे छोड़कर अपने मायके लौट गई. उसके बाद उसने अपने पति अतुल सुभाष के खिलाफ दहेज उत्पीड़न, घरेलू हिंसा समेत तमाम धाराओं के कई मुकदमे दर्ज कराए. इस दौरान कोर्ट में 120 तारीखें लगीं और 40 तारीखों पर अतुल बेंगलुरु से जौनपुर पहुंचा.
जज ने मांगी थी रिश्वत
वहीं मामला जौनपुर फैमिली कोर्ट की जज रीता कौशिक के पास पहुंचा. जहां जज ने केस निपटाने के लिए 5 लाख की रिश्वत मांगी. जब युवक ने रिश्वत देने से इंकार किया तो जज रीता कौशिक ने उस पर 3 करोड़ रुपए की एलिमनी देने का भी दबाव बनाया. उसके बाद भी अतुल ने पैसे नहीं दिए तो जज रीता कौशिक ने पक्षपाती फैसला सुनाते हुए खिलाफ हर महीने 80 हजार रुपए मेंटिनेंस देने का आदेश जारी कर दिया. इन्हीं सब चीजों को लेकर वह डिप्रेशन में था. जिसके बाद उसने इन चीजों से मुक्ति पाने के लिए मौत का रास्ता चुनना सही समझा.
क्या लिखा 40 पेज के सुसाइड नोट में…
मौत से पहले AI इंजीनियर अतुल सुभाष ने 40 पन्ने का सुसाइड नोट लिखा. जिसमें अपनी मौत का जिम्मेदार पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा, साले अनुराग सिंघानिया उर्फ पीयूष और चचेरे ससुर सुशील सिंघानिया को दोषी ठहराते हुए लिखा- “मेरा नाम अतुल सुभाष है. बेंगलुरु में रहता हूं और आज मैं सुसाइड कमिट करने जा रहा हूं.. कोर्ट के बाहर किसी गटर में बहा देना मेरी अस्थियों को. मेरे मरे हुए शरीर के आसपास मेरी पत्नी और उसके परिवार का कोई नहीं आना चाहिए. मेरा अस्थि विसर्जन तब तक नहीं होना चाहिए, जब तक मेरे हर आरोपी को सजा नहीं मिलती. इतने सारे एविडेंस.. सब कुछ होने के बाद भी अगर कोर्ट जज और बाकी के आरोपियों को सजा नहीं देती है तो मेरी अस्थियां वहीं कोर्ट के बाहर किसी गटर में बहा देनी चाहिए, ताकि मैं जान जाऊं कि इस देश में क्या वैल्यू है एक लाइफ की..”
मौत से पहले बनाया आखिरी VIDEO
अतुल सुभाष ने मौत से पहले एक डेढ़ घंटे का वीडियो भी बनाया था. जिसमें वह कहता सुना जा रहा है कि वह सुसाइड करने को मजबूर है. उसे इस स्थिति पर लाकर छोड़ा गया है कि उसके पास इसके अलावा कोई रास्ता नहीं है. इस दौरान उसने अपनी मौत का जिम्मेदार जौनपुर फैमिली कोर्ट की प्रिंसिपल जज रीता कौशिक, पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा सिंघानिया, साला अनुराग सिंघानिया उर्फ पीयूष सिंघानिया और पत्नी के चाचा सुशील सिंघानिया को बताया.
इतना ही डेढ़ घंटे के वीडियो में उसने ये भी कहा कि खुद को खत्म कर लेना ही बेस्ट है, क्योंकि मैं जो पैसा कमा रहा हूं उसी से अपने दुश्मन को बलवान बना रहा हूं. मेरा पैसा मुझे ही बर्बाद करने के लिए इस्तेमाल हो रहा है. मेरे ही टैक्स के पैसे से ये पुलिस, ये कोर्ट, ये सिस्टम मुझे और मेरी फैमिली और बाकी लोगों को भी हैरेस करेगा. तो जो सप्लाई है वैल्यू का, उसी को खत्म कर देना चाहिए.
सवाल सिस्टम से…
AI इंजीनियर अतुल सुभाष की मौत का जिम्मेदार उसकी फैमली तो है ही. साथ ही पूरा भ्रष्ट सिस्टम भी है. इस मौत ने न केवल एक फैमिली कोर्ट के जज की पोल खोली है, बल्कि कानून व्यवस्था पर भी सवाल खड़ा हुआ है. सवाल खड़ा भी होना चाहिए, क्योंकि जिस तरीके से जज ने पैसा न मिलने पर गलत फैसला सुनाया उससे न सिर्फ एक जिंदगी खत्म हुई है, बल्कि लोगों का सिस्टम से भरोसा भी उठा है. सवाल तो ये भी उठ रहे हैं कि अगर कोई गरीब है और उसके पास घूस देने के लिए पैसे नहीं है तो क्या उसकी सुनवाई नहीं होगी, क्या उसे न्याय नहीं मिलेगा? अगर घूस के तले ही न्याय मिलता है तो किस काम का है ऐसा कानून व्यवस्था?
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