गोविंद पटेल, कुशीनगर. यूपी सरकार शिक्षा व्यवस्था को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है लेकिन धरातल पर शिक्षा व्यवस्था दम तोड़ती नजर आ रही है. सरकार के दावे खोखले साबित होते दिख रहे हैं. रामकोला विकासखण्ड के बरवा बाजार में स्थित राजकीय कन्या उच्चतर विद्यालय अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है.
2015 से इस बिल्डिंग में पढ़ाई चल रही है. स्कूल के प्रिंसिपल का कहना है कि बिल्डिंग की हालत इतनी जर्जर हो गई है बरसात में छत से पानी टपकने लगता है. जिसके चलते शिक्षण कार्य प्रभावित होता है. वहीं विद्यालय में बच्चों की संख्या लगातार कम हो रही है. वजह ये है की मुख्य विषय अंग्रेजी और विज्ञान के टीचर ही नहीं है. ऐसे में सहज अंदाजा लगा सकते हैं कि बच्चों की पढ़ाई कैसे होती होगी. सरकार के दावे और जमीनी धरातल की तस्वीर अपनी बेबसी बयां कर रही है. वहीं जिम्मेदार अधिकारी अपनी जिम्मेदारियां से मुंह मोड़ केवल कागजी आंकड़ों में सिमटे हुए हैं.
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देखने वाली बात होगी कि स्कूल की दुर्दशा कब तक ठीक होती है. साथ ही शिक्षकों की कमी कब तक पूरी की जाती है. बता दें कि जनपद में 22 राजकीय विद्यालय हैं सबकी लगभग यही दुर्दशा है. कहीं शिक्षकों की कमी तो कहीं जर्जर बिल्डिंग की तस्वीर सरकार की शिक्षा व्यवस्था को आइना दिखा रही है.
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