विक्रम मिश्र, लखनऊ. यूपी में उप चुनाव में 7 सीट जीतकर भाजपा उत्साहित है, लेकिन उसके कुनबे के कुछ चेहरों पर मायूसी की झलक दिख रही है. ऐसा माना जा रहा है कि उपचुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने के कारण योगी को 2.0 में मौका दिया जा सकता है. इसीलिए तो विधानसभा उपचुनाव के बाद मंत्रिमंडल में फेरबदल की सुगबुगाहट शुरू हो गई है. साथ ही इसको लेकर 27 के लिए समीकरण भी साधे जा रहे हैं.

साथ में 7 सीट
‘बटेंगे तो कटेंगे’ के नारे ने यूपी छोड़िए भारत भर में शोहरत पा ही ली है. ऐसे में योगी आदित्यनाथ भी भाजपा से रूठे हुए और सियासत में हाशिए पर जाने वाले नेताओं को मौका देना शुरू कर दिया है. लिहाजा इसकी एक बानगी एससी-एसटी आयोग, महिला आयोग, अल्पसंख्यक आयोग और गौ सेवा आयोगों में हुई पुराने जनाधार वाले नेताओं की तैनाती दर्शाती है कि योगी अब यूपी में अपनी टीम बना रहे हैं.

पश्चिम से पूरब तक सबको जोड़ने की कोशिश

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने कड़े फैसलों को लेकर जाने जाते हैं, जबकि उनकी फायरब्रांड नीति से सभी वाकिफ हैं. हालिया दिनों में संगठन VS सरकार के मसले पर जहां योगी ने सबक लिया, वहीं उन्होंने सभी पुराने नेताओं को एक धागे में पिरोया है. जिससे हिन्दू वोटों को बंटने और असंतुष्ट नेताओं को संतुष्टि का टॉनिक दिया जा सके. लिहाजा अब उपचुनाव के बाद भाजपा के खाते में जो नए 7 विधायक आए हैं, उनके भाग्य का उदय भी हो सकता है.

मंत्रिमंडल में जगह के लिए जोड़-तोड़ शुरू

कई मंत्री जो उपचुनाव में निष्क्रिय थे, उनकी कुर्सी छीन सकती है. सरकार और संगठन स्तर पर मिशन 2027 की तैयारी शुरू होगी. साथ ही संगठन को नए पदाधिकारी भी नए साल में मिल जाएंगे. हालांकि, मंत्रिमंडल विस्तार को बहुत ज़्यादा दिनों तक टालने की मूड में भाजपा नहीं है. क्योंकि, इस उपचुनाव में भाजपा को समाजवादी पार्टी के पीडीए की काट मिल गई है. यानी सधे हुए समीकरण पर ओबीसी और दलित विधायकों को मंत्रिमंडल में जाने का रास्ता बन सकता है. उपचुनाव में जीतने वाले दो विधायकों को मौका दिया जा सकता है.