हिमांशु सिंह, डेस्क. यूं तो यूपी की भाजपा सरकार अपने विकास की गाथा प्रदेश की जनता को खूब सुनाती है. सड़कों पर पोस्टर और बैनर लगाकर अपने कार्यों का महिमा मंडन भी करती है. लेकिन सरकार को ये भी तो नहीं भूलना चाहिए कि जिनके लिए वो इतना विकास कर रही है, उनका जिंदा रहना भी तो जरूरी है. अगर जिंदा ही नहीं रहेंगे तो वो विकास उनके लिए किस काम का? ये सारे सवाल भाजपा सरकार से वे लोग पूछ रहें हैं, जिन्होंने पिछले 5 सालों में अपना पिता, अपना पति, अपना बेटा और अपने रिश्तेदार सड़क हादसों में खोएं हैं. जिसका जवाब भले ही यूपी की भाजपा सरकार नहीं देगी, लेकिन रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे मिनिस्ट्री ने ‘रोड एक्सीडेंट इन इंडिया, 2022’ रिपोर्ट जारी कर दे दिए हैं.
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बता दें कि रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाइवे मिनिस्ट्री ने ‘रोड एक्सीडेंट इन इंडिया, 2022’ रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट भाजपा के तथाकथित विकास की नहीं है. ये आंकड़ें सड़क हादसे में मरने वालों के हैं. ‘रोड एक्सीडेंट इन इंडिया, 2022’ रिपोर्ट से ये पता चला है कि डबल इंजन सरकार में बड़ी तेजी से लोगों ने जान गंवाई है. जिसमें उत्तरप्रदेश नंबर-1 पर है. जहां सबसे ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवाई है.
5 साल में 1 लाख 8 हजार मौतें
ट्रांसपोर्ट एंड हाइवे मिनिस्ट्री ने ‘रोड एक्सीडेंट इन इंडिया, 2022’ रिपोर्ट के मुताबिक देश में 2018 से 2022 तक सड़क हादसों में 7.77 लाख लोगों की जान गई है. जिसमें सबसे ज्यादा यूपी के1.08 लाख लोगों की मौत हुई है. वहीं मौत के मामले में दूसरे नंबर पर तमिलनाडु है, जहां 84 हजार लोगों की मौत हुई है. तीसरे नंबर पर महाराष्ट्र है, जहां 66 हजार लोगों ने सड़क हादसे में अपनी जान गंवाई है.
3 सालों में डेढ़ लाख से अधिक सड़क हादसे
लोकसभा में पेश किए गए डाटा से 2021 से 2024 तक 3 सालों के सड़क हादसों की जानकारी सामने आई है. डाटा के मुताबिक पूरे देश में सबसे अधिक 1,97,097 सड़क हादसे तमिलनाडू में हुए हैं. दूसरे नंबर पर 1,81,479 के साथ मध्यप्रदेश है. वहीं तीसरे नंबर पर उत्तरप्रदेश है. जहां तीन साल में 1,50,107 एक्सीडेंट हुए हैं. आंकड़ों से ये भी पता चला है कि यूपी में हर रोज 104 सड़क हादसे होते हैं.
सवाल सरकार और सिस्टम से
अगर यूपी की भाजपा सरकार अपने विकास का प्रचार लोगों तक करती है और खुद को सुशासन सरकार का टैग देती है तो सरकार को उस तथाकथित विकास के पीछे की खामियों को भी झांककर देखने की जरूरत है. लेकिन सरकार तो विकास के नशे में चूर है. अगर यूपी में सड़क का जाल बुना जा रहा है तो उन सड़कों पर सड़क हादसे को रोकने के लिए इंतजाम भी करना होता है, लेकिन सरकार को क्या विकास तो हो रहा है न फिर चाहे वो हादसों का ही क्यों न हो. अगर सरकार को लोगों की जान की इतनी ही परवाह होती तो तथाकथित विकास का ढंग से विकास हुआ होता. अगर यूपी की भाजपा सरकार सड़क हादसों को रोकने के लिए जरा भी सक्रिय होती तो मरने वालों की संख्या काफी कम होती. ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि हादसों की वजह सरकार औऱ उसका नाकारा सिस्टम है. अगर सरकार इन हादसों को नहीं रोक सकती तो अपने तथाकथित विकास को यहीं रोक देना चाहिए. कम से कम कोई अपना बेटा, अपना पिता, अपना भाई और अपना रिश्तेदार तो नहीं खोएगा.
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