विक्रम मिश्र, लखनऊ. पंचायत चुनाव जनवरी या फरवरी में होने की उम्मीद जताई जा रही है. ऐसे में 2027 से पहले पंचायत चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी ने अपनी रणनीति पर फोकस करना शुरू कर दिया है. समाजवादी पार्टी ने अपनी रणनीति के तहत हर गांव, ब्लॉक पर टीम तैनात कर दिया है, जिससे मतदाता सूची में किसी भी तरह की गड़बड़ी न की जा सके. हालांकि, अभी इस बात को लेकर संशय बना हुआ है कि समाजवादी पार्टी पंचायत चुनाव में सिम्बल पर प्रत्याशी उतरेगी या समर्थित उम्मीदवार ही मैदान में होंगे.
इसे भी पढ़ें- खंडहर में ‘साजिश’ का खौफनाक नजाराः नग्न अवस्था में मिली युवती की लाश, शरीर पर मिले चोट के निशान, इस ओर मुड़ी पुलिस की शंका की सुई…
विधानसभा चुनाव से पहले सपा का लिटमस टेस्ट
ग्रामीण क्षेत्रों की बात करें तो विधानसभा की दो तिहाई सीट लगभग 269 सीट इन्हीं क्षेत्रों के पास से आती है. ऐसे में ये विधानसभा के जादुई आंकड़े से ज़्यादा ही ये सीट होती है. यदि इसको साधने में कोई भी दल कामयाब होता है तो निश्चित ही विधानसभा में सत्ता की कुंजी उसके पास ही होनी है.
इसे भी पढ़ें- UP में ‘आफत’ का अलर्टः कई जिलों में लू का कहर जारी, 45 पार पहुंचा पारा, इन जिलों में हीट वेव को लेकर चेतावनी जारी…
जातिगत वोटबैंक पर नज़र
परिसीमन का काम शुरू हो चुका है, जबकि क्षेत्रवार आरक्षण के मसले पर भी कार्रवाई तेज़ हो रही है. ऐसे में किसी भी तरह का भेदभाव और जातिगत स्थिति के अनुसार सीटों का वर्गीकरण हो इसको लेकर समाजवादी बीएलओ और पंचायत ऑफिस में लगातार नज़र बनाए हुए हैं. पिछले अनुभव के मुताबिक सपा को लगता है कि भाजपा आंकड़ों में हेराफेरी कर सकती है. पीडीए के मसले को लेकर भी ग्रामवार कार्यक्रम बनाने की रणनीति को अमल में लाने की तस्दीक अखिलेश यादव कर चुके हैं.
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें