विक्रम, लखनऊ। राजनीति में सोशल इंजीनियरिंग की सफल परीक्षण कर्म वाली उत्तर प्रदेश की चार बार की मुख्यमंत्री रही मायावती बीते 9 अक्टूबर कांशीराम की पुण्यतिथि के बाद हाइ जोश में है। अब उंन्होने फिर से बसपा को खड़ा करने का मन बना लिया है। यही कारण है कि मंडलों में अब बहन मायावती खुद जाकर कैम्प करेंगी जबकि स्थायी वोटर्स को जोड़ने और सड़कों पर उतरने की तैयारी भी की जाएगी।
69 साल की मायावती अब आकाश को देख रही है
बसपा सुप्रीमो मायावती 69 साल की हो गई है। जबकि पिछले कुछ सालों से उन्होंने खुदको अपने पार्टी आफिस तक मे ही कैद कर लिया था। यही कारण है कि बसपा के कोर वोटर्स भी उनसे छिटककर सपा, भाजपा और आज़ाद समाज पार्टी कांशीराम के खेमे में चले गए थे। लेकिन अब मायावती पुराने चेहरों को फिर से घर वापसी करवाने के लिए तैयार दिख रही है। आकाश आनंद को भी ये एहसास है कि चंद्रशेखर रावण उनके लिए बहुत बड़े खतरे के जैसे है। ऐसे में बसपा की स्थिति को मजबूत करने के लिए आकाश को आज़ाद समाज पार्टी के साथ दो दो हाथ करना होगा।
READ MORE: यूपी में फिर चली तबादला एक्सप्रेस: 4 IPS अफसरों का हुआ ट्रांसफर, जानें कौन कहां हुआ तैनात
इसके अलावा पुराने चेहरे और कुछ छोटी लेकिन सामाजिक जनाधार वाले दलों पर भी बसपा की नज़र है। इधर बीच सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओपी राजभर बसपा को लेकर अतिप्रेम प्रकट कर रहे है। हालांकि योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री ओपी राजभर ने राजनीति का ककहरा बसपा में रहकर ही सीखा है। इसके अलावा निषाद पार्टी के संजय निषाद भी बहन मायावती को लेकर बहुत सहज दिख रहे है। आपको बता दे कि दोनों ही पार्टीया (सुभासपा और निषाद पार्टी) एनडीए के घटक दल है।
READ MORE: रफ्तार ने लगाया जिंदगी पर ब्रेक: खड़े कैंटर को बेकाबू कैंटर ने मारी टक्कर, हादसे में चालक की मौत
पुराने चेहरों को घर वापसी पर सहमति
बसपा के कई बड़े नेता जिनका की क्षेत्र ही नही प्रदेश में भी व्यापक जनाधार था। वो सभी अब दूसरे दलों में है। कुछ बड़े नामो की बात करें तो उत्तर प्रदेश सरकार में उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक भी बसपा छोड़कर भाजपा में आये हुए है। इसके अलावा कानपुर देहात की विधायक और योगी सरकार में राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला,कैबिनेट मंत्री दारा सिंह चौहान समाजवादी पार्टी के सांसद बाबू सिंह कुशवाहा, स्वामीप्रसाद मौर्य, नसीमुद्दीन सिदिकी इत्यादि ये सभी नेता बसपा से ही शुरुआत कर आज दूसरी पार्टी में है। इसके साथ ही कुछ ब्राह्मण चेहरों की भी तलाश जारी है जिनके बल पर फिर से बसपा को सियासत की मुख्य धड़े में शामिल किया जा सके। जिसके लिए मायावती ने खुद मंडलवार कमेटियों में जाने का फैसला किया है।
READ MORE: यूपी वाले हो जाएं सावधान! लगातार गिर रहा तापमान, दिवाली से पहले ठंड देगी दस्तक
भाईचारा कमेटी
बसपा के संस्थापक कांशीराम ने भाईचारा कमेटी का निर्माण किया था। जिसमे की सभी वर्गों के लोगो के साथ राजनैतिक विषयो पर चर्चा और बामसेफ और बसपा को मजबूत करने पर चर्चा की जाती थी। मायावती ने अपने सोशल इंजीनियरिंग फार्मूले को फिर से ईजाद कर उसको समीकरण का मुख्य हिस्सा बनने के निर्देश दिए है।
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें