प्रयागराज. इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें राज्य सरकार को प्रयागराज में माघ मेले के दौरान गंगा नदी में पवित्र डुबकी लगाने वाले भक्तों की संख्या को सीमित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. माघ मेला शुक्रवार को गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती के संगम स्थल संगम में लाखों श्रद्धालुओं के पवित्र स्नान के साथ शुरू हुआ.
उत्कर्ष मिश्रा और अन्य द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि पिछले दो वर्षों में धार्मिक सभाओं को पूरे देश में कोविड वायरस फैलाने के लिए जिम्मेदार पाया गया है. जनहित याचिका में अदालत से माघ मेले में भागीदारी को सीमित करने का निर्देश देने की मांग की गई है, जो दुनिया की सबसे बड़े धार्मिक आयोजन में से एक है. जनहित याचिका में कहा गया है कि केवल अखाड़ों के संतों को शाही स्नान की तारीखों में पवित्र स्नान करने की अनुमति दी जानी चाहिए, ताकि भक्तों की भारी भीड़ को रोका जा सके.
यह भी अनुरोध किया गया कि आने वाले श्रद्धालुओं के आगमन पर आरटी-पीसीआर जांच अनिवार्य की जाए. जनहित याचिका में कहा गया है कि कोविड -19 महामारी की दूसरी लहर के चरम के दौरान आयोजित हरिद्वार के कुंभ मेले के परिणामस्वरूप कोविड संक्रमण फैल गया था और इस तरह विभिन्न अखाड़ों के संतों द्वारा मेला स्वेच्छा से बंद कर दिया गया था. याचिका में कहा गया है कि हरिद्वार में कुंभ के दर्शन कर अपने मूल स्थानों पर लौटे श्रद्धालुओं को सुपर स्प्रेडर पाया गया था.
“कोविड की तीसरी लहर के मद्देनजर इतने बड़े पैमाने पर आयोजन प्रयागराज के साथ-साथ उत्तर प्रदेश राज्य के निवासियों को अनावश्यक जोखिम में डाल रहा है. इसके अलावा, माघ मेला का आयोजन, और सभी तैयारियां जैसे कि शिविर, बिजली, पानी और स्वच्छता की स्थापना पहले ही की जा चुकी है, इस समय इस धार्मिक आयोजन को बंद करना वांछनीय नहीं है.