गोरखपुर. दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के गृह विज्ञान विभाग के कक्ष से शनिवार को एक छात्रा का शव मिलने के बाद से कैंपस में सनसनी फैल गई. विश्वविद्यालयी परीक्षा के दौरान फंदे से लटके शव मिलने की घटना ने पुलिस की जहां होश उड़ा दिए, वहीं विश्वविद्यालय में अनुशासन के नाम पर अपनी चाबुक चलाने वाले प्राक्टोरियल बोर्ड की सतर्कता भी आशंकाओं के घेरे में है.

पुलिस प्रथमदष्टया मौत को आत्महत्या मान रही है, पर मृतका के पैर जिस तरह जमीन से सटे थे, उसके चलते मौत का कारण एक रहस्य बन गया है. अगर घटना आत्महत्या है तो उसके पैर जमीन से सटे होने के बाद भी उसकी मौत कैसे हो गई, अगर हत्या है तो परीक्षा के समय आखिर इस तरह की घटना को किसने अंजाम दिया. शनिवार को सुबह परीक्षा देने आई बीएसएसी (गृह विज्ञान) की छात्रा प्रियंका कुमारी का शव विश्वविद्यालय के गृह विज्ञान विभाग में स्टोर के पास फंदे से लटका मिला. प्रथमदृष्टया खुदकुशी का मामला मानकर पुलिस अपनी जांच में जुट गई.

फोरेंसिक टीम के साथ पहुंची कैंट पुलिस ने मौके से सभी साक्ष्य जुटाने की कोशिश में लगी रही. यह कार्य शाम तक चलता रहा. दूसरी तरफ पोस्टमार्टम की प्रक्रिया रात आठ बजे के बाद पूरी कराई गई. अब कहा जा रहा है कि रिपोर्ट के आधार पर पुलिस की जांच आगे बढेगी. इस बीच मौत को लेकर चर्चाओं का दौर कैंपस में दिनभर चलता रहा. गुलरिहा थाना क्षेत्र के शिवपुर साहबाजगंज पोखरा टोला निवासी दलित परिवार के विनोद कुमार की 21 वर्षीय पुत्री प्रियंका गोरखपुर विश्वविद्यालय में बीएससी (गृह विज्ञान) तृतीय वर्ष की छात्रा थी. घटना की सुबह नौ बजे से दीक्षा भवन में प्रियंका की परीक्षा थी. सुबह साढ़े दस बजे परीक्षा देकर वह कक्षा से बाहर निकली.
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक अंतिम बार उसे विभाग के शौचालय की ओर जाते देखा गया. दोपहर करीब 12 बजे गृह विज्ञान विभाग के शौचालय की तरफ गई कुछ छात्राओं ने स्टोर रूम के पास गैलरी में फंदे से लटकता छात्रा का शव देखकर शोर मचाया.

प्रत्यक्षदशियों के मुताबिक प्रियंका के पैर जमीन से सटा हुआ था. गले में फंदा उसके दुपट्टे का था. छात्राओं ने ही विभागाध्यक्ष दिव्यारानी को इसकी सूचना दी. विभागाध्यक्ष ने चीफ प्रॉक्टर और कैंट पुलिस को घटना की जानकारी दी. सूचना मिलते ही हड़कंप मच गया. एसएसआई कैंट प्रवींद राय और फोरेंसिक टीम मौके पर पहुंच गई. टीम को घटनास्थल के पास से एक मेज पर पर्स पड़ा मिला, जिसमें बीएससी (गृह विज्ञान) तृतीय वर्ष का प्रश्नपत्र, आधार कार्ड व मोबाइल नंबर था. आधार कार्ड से पहचान कर घरवालों को सूचना दी गई. विश्वविद्यालय पहुंचे पिता विनोद कुमार ने पुलिस को बताया कि सुबह ही परीक्षा थी, जिसके चलते उनकी बेटी बिना भोजन किए ही परीक्षा देने चली आई थी. घर में सबकुछ ठीक-ठाक चल रहा था. अचानक हुई इस घटना से वे और परिवार के लोग हतप्रभ हैं.

तीन दिन पूर्व ही कैंपस में आयोजित कुकिंग कंपटिशन में प्रियंका पहले स्थान पर आयी थीं, ऐसे में मौत के पीछे डिप्रेशन में आत्महत्या कर लेने की बात भी परिजन स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं. परीक्षा के समय जब पूरे कैंपस में चहल पहल बना हुआ था, वैसे वक्त में ऐसी सनसनीखेज घटना ने कई सवाल छोड़े हैं, जिसकी तहकीकात पुलिस जरूरी मान रही है. गैलरी जैसे खुले स्थान में शव मिलने को लेकर पुलिस भी हैरत में है. सवाल उठता है कि वहां डयूटी पर रहे कर्मियों की आखिर पहले नजर क्यों नहीं पड़ी. साढ़े दस बजे परीक्षा समाप्त होने पर प्रियंका को उसकी सहेलियों ने देखा था. इसके डेढ घंटे बाद फंदे से लटका शव छात्राओं ने ही देखा. आखिर प्रियंका के इतना वक्त गुजारने के बाद भी आखिर किसी कर्मी की नजर तक क्यों नहीं पड़ी.

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परीक्षा के सीसीटीवी के निगरानी में कराने वाले विश्वविद्यालय प्रशासन के दावे अगर सच है, तो उसके फुटेज से कोई क्लू हाथ लगेगी, क्या यह भी आगे देखना होगा. सवाल उठता है कि क्या आत्महत्या मानते हुए एक दिशा में पुलिस की कार्रवाई आगे बढती जाएगी. अगर ऐसा होता है तो पुलिस की यह जल्दबाजी भरी लापरवाहीपूर्ण कदम मानी जाएगी. यह भी हो सकता है कि फंदे से लटका कर घटना को आत्महत्या का शक्ल देने की कोशिश की गई हो. फिलहाल पुलिस छात्रा के मोबाइल के काॅल डिटेल को खंगालने में भी लगी है. इसके अलावा पोस्टमार्टम रिपोर्ट का भी अध्ययन करने में जुटी है.

उधर घटना के बाद परीक्षार्थियों में एक दहशत का माहौल भी बना हुआ है. साथ ही यह भी ये जानना चाहते हैं कि आखिर प्रियंका की मौत कैसे हुई. अगर यह हत्या है, तो उसके पीछे छूपे खुनी पंजों की शिनाख्त जरूरी है. दूसरी तरह प्रियंका की मौत एकमात्र अगर आत्महत्या की घटना है, तो इस तरह के फैसले की ओर वह क्यों बढी इस हालात की ओर ले जाने के लिए मजबूर करने वाले वे कौन लोग थे. इन सारे रहस्यपूर्ण सवालों का जवाब हर कोई चाहता है.

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