गाजीपुर. कोरोना महामारी के चलते जहां अस्पताल में मरीज अचानक से बढ़ गए और मरने वालों की संख्या ने सबको हैरत में डाल दिया. वहीं गंगा नदी में उतराए शवों ने एक नई बहस छेड़ दी है. जिसके चलते जिला प्रशासन हरकत में आ गया है. गाजीपुर जिलाधिकारी और एसपी घूम-घूम कर नदी घाटों और शमशान का जायजा ले रहे हैं. लकड़ी की कमी और परम्पराओ के चलते शवो का गंगा में जल प्रवाह को रोकने के लिए पुलिस मुनादी भी कर रही है और तो और जलावनी लकड़ी से लेकर डोम राजा की फीस भी प्रशासन ने फिक्स कर इस महामारी में लूट खसोट की घटनाओं पर भी विराम लगाने का प्रयास किया है.
बता दें कि 10 मई को बिहार राज्य के बक्सर जिला के चौसा गंगा नदी घाट पर एक साथ दर्जनों शवों के गंगा में उतराने से हडकंप मच गया था. सवाल उठने लगे थे कि इतनी डेड बॉडीयां कहां से आ गई है. इस पर तमाम सवाल उठने लगए थे. इसके बाद बिहार से सटे गाजीपुर जिले के गहमर थाना इलाके के कई गंगा घाटों पर भी दर्जनों की संख्या में गंगा में शव उतराया मिला. जिसकी जानकारी लोगों से प्रशासन को हुई तो हड़कम्प मच गया.
स्थानीय लोगों ने गंगा में दर्जनों की संख्या में उतराए शवों की शिकायत जिला प्रशासान को दी. जिसके बाद जिला प्रशासान ने 11 मई की रात से ही सभी शवों को मल्लाहों और स्थानीय लोगों की मदद से घूम-घूम कर शवों का डिस्पोजल करना शुरू कर दिया. इसके बावजूद भी जिले के कई और गंगा घाटों और किनारों पर शवो के मिलने का सिलसिला जारी है. जिसके बाद डीएम गाजीपुर एमपी सिंह ने गंगा में 12 घंटे तक शिफ्ट वाइज पेट्रोलिंग करने का निर्देश भी दे दिया.
पेट्रोलिंग में सुबह 7 बजे से 1 बजे तक एसआई और राजस्व विभाग की टीम पेट्रोलिंग करेगी उसके बाद 1 बजे से क्षेत्रीय एसडीएम और सीओ परेट्रोलिंग करेंगे और लोगों को जागरूक करने का काम करेंगे कि कोई भी डेड बॉडी गंगा में प्रवाहित नहीं करेगा. जो भी परिजन अपने परिवार का शव अंतिम संस्कार करने के लिए आ रहे है. उनको जिला प्रशासन के द्वारा गंगा में जल प्रवाहित करने से मना किया जा रहा है, और कहा जा रहा है कि उन शवों को जलाया जाए.
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ऐसे में जिला प्रशासन गरीब तबके के लोगों के लिए अंतिम संस्कार करने के लिए कफन, लकड़ी से लेकर जलाने में प्रयुक्त होने वाली सभी समाग्री के साथ डोम राजा को देने वाला शुल्क भी जिला प्रशासान वहन करेगा. साथ जिला प्रशासन ने श्मशान घाट पर 650 रुपए प्रति क्विंटल और डोम राजा को देने वाला शुल्क 500 रुपए भी निर्धारित कर दिया है. इससे अधिक अगर कोई शुल्क लेता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी.
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