विक्रम मिश्र,लखनऊ। उत्तर प्रदेश यूं तो आबादी के लिहाज से देश का सबसे बड़ा राज्य है। यहां पर असीम संभावनाएं भी है, जिसका भरपूर फायदा प्रदेश में तैनात नौकरशाह उठाते है। यहां की समितियों के पदों पर नौकरशाहों के रिश्तेदारों के कब्जा है। जबकि कागजों में सभी समितियों के पद बिना विज्ञापन जारी किए ही भर चुके है। इस विषय को लेकर सर्वोच्च न्यायलय ने टिप्पणी की है।

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उत्तर प्रदेश की सहकारी समितियों में मुख्य सचिव और जिलाधिकारियों जैसे शीर्ष नौकरशाहों की पत्नियों के पदेन पदों पर रहने की स्थिति पर सुप्रीम कोर्ट ने आपत्ति जताई है। कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि वह अपने नियमों में संशोधन करके ऐसी ‘औपनिवेशिक मानसिकता’ को दर्शाने वाली प्रथा को समाप्त करें।

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जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि राज्य को इस तरह की समिति-सोसाइटी के लिए आदर्श नियम बनाने होंगे। जिसका लाभ सामान्य और अतिसामान्य व्यक्ति को भी हो सके।