लखनऊ. अवैध धर्मांतरण मामले में गिरफ्तार उमर गौतम द्वारा मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक लगाने के लिए हाईकोर्ट लखनऊ बेंच में दाखिल याचिका खरिज हो गई है. उमर कोर्ट के सामने यह साबित नहीं कर पाए कि उनके किस संवैधानिक या कानूनी अधिकार का हनन हुआ है. उमर ने अवैध धर्मांतरण मामले में मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक लगाने के लिए हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दाखिल की थी. जिसपर 2 जुलाई को बहस के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.

याचिका पर बुधवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस विकास कुंवर श्रीवास्तव ने फैसला सुनाते हुए याचिका को खारिज कर दिया है. उमर गौतम की ओर से दाखिल याचिका में मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक लगाने के साथ ही मांग की गई थी कि जांच एजेंसी विवेचना का कोई भी तथ्य मीडिया को लीक न करें. याचिका में 20 जून को जारी प्रेसनोट को मीडिया से हटाने की भी मांग भी की गई थी.

इस मामले में फैसला देते हुए कोर्ट ने कहा कि अभी तक ऐसा कोई तथ्य नहीं आया है जिससे पता चला हो कि एजेंसियों ने मीडिया को सूचना लीक की है. फैसले में स्पष्ट किया गया है कि 20 जून के प्रेसनोट से याची के किसी संवैधानिक या कानूनी अधिकार का हनन होना साफ नहीं हो रहा है. कोर्ट ने फैसले में कहा कि प्रेसनोट जारी करने के कारणों का न्यायिक पुनरावलोकन करने की जरूरत नहीं है. अवैध धर्मांतरण मामले में गिरफ्तार आरोपी उमर गौतम की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई के बाद 2 जुलाई को हाईकोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखा था.

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