वाराणसी. वाराणसी की एक अदालत ने सोमवार को श्री विद्या मठ के प्रमुख स्वामी अविमुक्ते श्वरानंद की याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया, जो मई में एक वीडियोग्राफी सर्वेक्षण के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर से बरामद एक कथित शिवलिंग जैसी संरचना के लिए प्रार्थना करने की अनुमति के लिए अनिश्चितकालीन अनशन पर थे.

जिला न्यायाधीश प्रभारी, पोक्सो अदालत के विशेष न्यायाधीश अनुतोष शर्मा और जिला न्यायाधीश अजय कृष्ण विश्वेश, जो छुट्टी पर हैं, उन्होंने अविमुक्ते श्वरानंद के वकील रमेश उपाध्याय की दलीलें सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया. अपने आवेदन में हिंदू मठ के प्रमुख ने अनुरोध किया था कि उनकी याचिका पर तत्काल सुनवाई की जानी चाहिए क्योंकि ‘प्रभु भूखे हैं.’

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उपाध्याय ने अपने मुवक्किल की ओर से तर्क दिया कि आदि विशेश्वर के साथ, ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पाया गया शिवलिंग जैसा ढांचा, नंदी भी बिना किसी ‘राग या भोग’ के बैठा था. धार्मिक ग्रंथों का हवाला देते हुए, उन्होंने दावा किया कि नंदी भगवान विष्णु के अवतार हैं और इसलिए वह भी आदि विशेश्वर (शिवलिंग) के साथ उपवास कर रहे थे.

उपाध्याय ने भविष्य पुराण और गरुड़ पुराण का भी हवाला दिया और कहा कि अगर उनके मुवक्किल को पूजा और भोग लगाने की अनुमति नहीं दी जाती है, तो इसकी व्यवस्था अदालत द्वारा की जानी चाहिए. मामले में उत्तर प्रदेश सरकार और स्थानीय पुलिस प्रशासन को पक्षकार बनाया गया है.

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