वाराणसी. महाकुंभ के खत्म होने के 104 दिन बाद एक चौका देने वाली रिपोर्ट सामने आई है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि महाकुंभ में हुई भगदड़ में मरने वालों की संख्या 37 नहीं, बल्कि 82 है. जिसे सरकार ने छिपाने का काम किया है. 26 परिवार के लोगों से यूपी पुलिस ने तबियत बिगड़ने से मौत होने की बात लिखे हुए फार्म पर साइन कराया और उन्हें बदले में 5-5 लाख रुपए दिए गए. ये सारी बातें रिपोर्ट में कही गई हैं. जिसे लेकर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से सवाल किया गया तो उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया दी.

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बता दें कि उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से बीबीसी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए पत्रकारों ने सवाल किया. जिस पर डिप्टी सीएम ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा, आप लोग कुछ समाचार चला दें मैं उसका जवाब दूं ये नहीं है. घटना दुखद थी और हर पीड़ित परिवार की सहायता हुई है. हमने पहले भी दुःख जताया. आज भी इसका दुःख है.

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डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने भी कहा कि महाकुंभ में 66 करोड़ लोग शामिल हुए, जो पुण्य के भागीदार बने. वहां दुखद घटना घटी थी, जिसका हम सभी को दुख है. पीएम मोदी और सीएम योगी ने दुःख जताया था. हमारी कोशिश रहती है कि कोई श्रद्धालु आए तो वह सकुशल जाए. उन परिवारों के प्रति हमारी सदा संवेदना है.

अखिलेश यादव का करारा हमला

तथ्य बनाम सत्य : 37 बनाम 82. सब देखें, सुनें, जानें-समझें और साझा करें. सत्य की केवल पड़ताल नहीं, उसका प्रसार भी उतना ही ज़रूरी होता है. भाजपा आत्म-मंथन करे और भाजपाई भी और साथ ही उनके समर्थक भी कि जो लोग किसी की मृत्यु के लिए झूठ बोल सकते हैं, वो झूठ के किस पाताल-पर्वत पर चढ़कर अपने को, अपने मिथ्या-साम्राज्य का मुखिया मान रहे हैं. झूठे आंकड़े देने वाले ऐसे भाजपाइयों पर विश्वास भी विश्वास नहीं करेगा. सवाल सिर्फ़ आंकड़े छिपाने का नहीं है, सदन के पटल पर असत्य बोलने का भी है और इस बड़ी बात का भी है.

अखिलेश यादव ने सवाल उठाते पूछा, ’महाकुंभ मृत्यु-मुआवज़े’ में जो राशि नक़द दी गयी, वो कैश क्यों दी गयी? वो कैश आया कहाँ से? और जिनमें वो कैश वितरित नहीं हो पाया, वो कैश वापस गया किसके हाथ में? नकदी देने का निर्णय किस नियम के तहत हुआ? नकदी का वितरण किसके आदेश पर हुआ? नकदी के वितरण का लिखित आदेश कहाँ है? नकदी वितरण में क्या कोई अनियमितता हुई? ⁠ और साथ ही यह भी कि मृत्यु के कारण को बदलवाने का दबाव किसके कहने पर बनाया गया?

आगे अखिलेश यादव ने कहा, ये रिपोर्ट अंत नहीं, महाकुंभ में हुई मृत्युओं और उनसे जुड़े पैसों के महासत्य की खोज का आरंभ है. सत्य जब उजागर होता है, तो झूठ की परत-दर-परत खुलती है, जो स्वांग के हर चोगे और मुखौटे को उतारती जाती है, परदे उठाती जाती है. झूठ का कोई भी सूचना-प्रबंधन ऐसे सत्य को बाहर आने से नहीं रोक सकता.